Kanwar yatra history in hindi: कैसे हुई सावन महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत? क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यता?.. इस तप का इतिहास
हिंदू धर्म में सावन को भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है। सावन माह में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ शिवलिंग में जल आदि चढ़ाने से हर तरह के ग्रह दोषों से निजात मिलने के साथ-साथ सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
Kanwar yatra history in hindi || Image- IBC24 News File
- सावन महीने में आयोजित कांवड़ यात्रा भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करने की परंपरा है।
- कांवड़ यात्रा उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री तक जाती है।
- लाखों श्रद्धालु पैदल चलकर गंगा जल लाते हैं और शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं।
Kanwar yatra history in hindi: रायपुर: आज से पवित्र श्रावण माह की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू सनातन धर्म में यह पूरे वर्ष का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। दुनियाभर में फैले हिन्दू समुदाय के भक्त पूरे माह भगवान् भोलेनाथ की आराधना करते है। शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भगवान् शिव से जुड़े अनेक धार्मिक आयोजन होते है। हिन्दू समाज में इस महीने कई नए काम भी शरू किया जाते है। उदाहरण के रूप में नए मकान का लोकार्पण या फिर नए वहां की खरीदी।
सावन के शुरुआत के साथ ही भोले भक्तों की भीड़ भी कांवड़ियों के रूप में सड़कों पर नजर आएगी। भक्त अपने कन्धों पर नदियों का पवित्र कल लेकर शिवालयों के तरफ कुछ करेंगे। इस दौरान हर तरफ बोल बम की गूँज भी सुनाई देगी।
क्यों की जाती है Kanwar yatra?
बहरहाल इन सबके बीच यह सवाल सभी के मन में उठता है कि, भोलेनाथ की पूजा, आराधना, अभिषेक से अलग इस कांवड़ यात्रा की क्या वजह है? इसकी शुरुआत कब से हुई और इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं क्या है? तो चलिए आज इसी पर बातें करते है।
यह है Kanwar yatra की असल वजह
वेद-पुराण और धार्मिक ग्रंथो में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़ कांवड़ यात्रा की उत्पत्ति का संबंध समुद्र मंथन की प्रसिद्ध कथा से है। मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया और उसे अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। उनके इस त्याग और तप को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने उन्हें गंगाजल अर्पित किया ताकि, विष की तीव्रता शीतल हो सके। यही गंगाजल अर्पण की परंपरा आज कांवड़ यात्रा के रूप में जीवित है।
Kanwar yatra history in hindi: सनातन धर्म यानि हिंदू धर्म में सावन महीने का खास महत्व होता है। आज आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि है जिसके बाद कल से सावन का महीन शुरू हो जाएगा। सावन को भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। इस पूरे एक मास में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक सहित अन्य धार्मिक कार्य किए जाते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन माह का आरंभ 11 जुलाई 2025 से हो रहा है। इस बार सावन माह में कुल 4 सावन सोमवार पड़ने वाले हैं। सावन सोमवार के दौरान भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। पहले सावन सोमवार में आयुष्मान योग, सौभाग्य योग जैसे योगों का निर्माण हो रहा है।
कब है पहला सावन सोमवार?
इस बार श्रावण मास 11 जुलाई 2025 दिन शुक्रवार से आरंभ हो रहा है, जो 9 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त होता है। ऐसे में सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है।
पहले सावन सोमवार को बन रहे शुभ योग (First Sawan Somwar 2025 Shubh Yog)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन सोमवार के दिन काफी शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र के साथ आयुष्मान योग, सौभाग्य योग के अलावा गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जा रहा है। इसके साथ ही ग्रहों की स्थिति के हिसाब से इस दिन सावन सोमवार को गुरु आदित्य योग, विपरीत, मालव्य आदि योगों का निर्माण हो रहा है।
पहला सावन सोमवार जलाभिषेक का समय 2025
Kanwar yatra history in hindi: सावन के पहले सोमवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त के अलावा सूर्योदय से यानी सुबह 5:33 से लेकर दोपहर से पहले जल अर्पित करना और रुद्राभिषेक करना शुभ हो सकता है।
सावन सोमवार 2025 की तिथियां
प्रथम सावन सोमवार व्रत- 14 जुलाई
दूसरा सावन सोमवार व्रत- 21 जुलाई
तीसरा सावन सोमवार व्रत- 28 जुलाई
चौथा सावन सोमवार व्रत- 4 अगस्त
सावन सोमवार का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में सावन को भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है। सावन माह में पड़ने वाले सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ शिवलिंग में जल आदि चढ़ाने से हर तरह के ग्रह दोषों से निजात मिलने के साथ-साथ सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार मंत्र
ऊं नम: शिवाय:
शंकराय नमः।
ॐ महादेवाय नमः।
ॐ महेश्वराय नमः।
ॐ श्री रुद्राय नमः।
ॐ नील कंठाय नमः।

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