Devuthani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी का क्या है महत्व? परंपरा और धार्मिक मान्यताएं जो इन्हें बनाती हैं खास…

कार्तिक मास में मनाई जाने वाली देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में खास महत्व है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह होता है। इस दिन से ही शादी, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य शुरू होते हैं, इसलिए दोनों पर्वों का आपस में गहरा संबंध है।

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  • Publish Date - October 30, 2025 / 12:36 PM IST,
    Updated On - October 30, 2025 / 12:36 PM IST

(Devuthani Ekadashi 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)

HIGHLIGHTS
  • कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी कहा जाता है।
  • भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं।
  • इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।

Devuthani Ekadashi 2025: कार्तिक मास हिंदू धर्म में कई प्रमुख व्रत और उत्सवों का महीना माना जाता है। इस महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि का संचालन फिर से संभालते हैं। इस दिन से घर में सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश की शुरुआत हो जाती है।

देवउठनी एकादशी कब मनाई जाएगी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी इस वर्ष 1 नवंबर को सुबह 09:11 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर को सुबह 07:31 बजे तक रहेगी। इस वर्ष 1 नवंबर को ही देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:50 बजे – 05:41 बजे
  • विजय मुहूर्त: 01:55 बजे – 02:39 बजे
  • गोधूलि मुहूर्त: 05:36 बजे – 06:02 बजे
  • निशिता मुहूर्त: 11:39 बजे – 12:31 बजे

देवउठनी एकादशी क्यों मनाई जाती है?

देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक योगनिद्रा में रहते हैं। इस दौरान विवाह, यज्ञ, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। जैसे ही भगवान विष्णु जागते हैं, शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी का संबंध

देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। तुलसी और शालिग्राम का विवाह धार्मिक रूप से शुभ माना जाता है और इसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत का प्रतीक कहा जाता है। इस दिन से घर में समृद्धि और सौभाग्य आने की मान्यता है।

देवउठनी एकादशी का महत्व

  • देवउठनी एकादशी से भगवान विष्णु जागते हैं और सभी शुभ कार्य फिर से किए जाने लगते हैं।
  • तुलसी विवाह से घर में खुशहाली और समृद्धि का वातावरण बनता है।

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देवउठनी एकादशी कब मनाई जाती है?

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस वर्ष यह 1 नवंबर को मनाई जाएगी।

देवउठनी एकादशी का महत्व क्या है?

इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

तुलसी विवाह कब और क्यों मनाया जाता है?

देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी विवाह होता है। यह मांगलिक कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।

देवउठनी एकादशी के शुभ मुहूर्त क्या हैं?

ब्रह्म मुहूर्त: 04:50-05:41, विजय मुहूर्त: 01:55-02:39, गोधूलि मुहूर्त: 05:36-06:02, निशिता मुहूर्त: 11:39-12:31।