Devuthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी कब है और कैसे करें पूजा? जानिए सही तारीख, शुभ मुहूर्त और व्रत का तरीका

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है और यह भगवान विष्णु को समर्पित होती है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। यह दिन देवताओं के प्रबोध और जागरण का प्रतीक माना जाता है। व्रती व्रत और पूजा से पुण्य अर्जित प्राप्त करते हैं।

Devuthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी कब है और कैसे करें पूजा? जानिए सही तारीख, शुभ मुहूर्त और व्रत का तरीका

(Devuthani Ekadashi 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)

Modified Date: October 25, 2025 / 05:03 pm IST
Published Date: October 25, 2025 4:56 pm IST
HIGHLIGHTS
  • देवउठनी एकादशी: कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी।
  • दिन का महत्व: भगवान विष्णु के जागने और चातुर्मास के अंत का प्रतीक।
  • व्रत पारण समय: 2 नवंबर दोपहर 1:11 बजे से 3:23 बजे तक।

Devuthani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। यह प्रत्येक महीने में दो बार आती है और भगवान विष्णु को समर्पित होती है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी या देवेत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इसके साथ ही चार महीने के चातुर्मास का अंत होता है और सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि फिर से शुरू होते हैं। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु का ध्यान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि व शांति आती है।

कब है देवउठनी एकादशी?

इस साल देवउठनी एकादशी दो दिन मानी जाएगी।

  • 1 नवंबर – गृहस्थों के लिए
  • 2 नवंबर – वैष्णवों के लिए

एकादशी तिथि 1 नवंबर को सुबह 9:11 से शुरू होकर 2 नवंबर को सुबह 7:31 तक रहेगी। वैष्णव परंपरा में व्रत का निर्धारण हरिवासर (भगवान विष्णु के जागने) के सटीक मुहूर्त पर होता है, इसलिए गृहस्थ और वैष्णवों के लिए एक दिन का अंतर होता है।

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एकादशी व्रत का पारण

एकादशी व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है।

  • 1 नवंबर को व्रत रखने वाले: 2 नवंबर को पारण करेंगे
  • 2 नवंबर को व्रत रखने वाले: 3 नवंबर को पारण करेंगे

पारण का समय

  • 2 नवंबर: 01:11 बजे दोपहर से 03:23 बजे तक।
  • हरिवासर समाप्त: 12:55 बजे दोपहर।
  • 3 नवंबर (गौण एकादशी): 06:34 बजे सुबह से 08:46 बजे तक।
  • पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को साफ रखें।
  • घर के मंदिर में दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का जल, दूध और गंगा जल से अभिषेक करें।
  • भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी पत्ते और चंदन अर्पित करें।
  • पूरे दिन भक्ति और व्रत का पालन करें।
  • इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है, जिसमें भगवान विष्णु (शालीग्राम रूप) और माता तुलसी का विवाह किया जाता है।
  • पूजा के अंत में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और सात्विक भोग अर्पित करें। ध्यान रखें कि भोग में तुलसी का उपयोग जरूरी है।

पूजा सामग्री

  • श्री विष्णु जी की प्रतिमा या चित्र
  • फूल, नारियल, सुपारी और फल
  • लौंग, धूपबत्ती और दीपक
  • घी और पंचामृत
  • अक्षत (चावल) और तुलसी पत्ते
  • चंदन और मिठाई
  • मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा
  • आंवला, बेर, सीताफल
  • अमरुद और मौसमी फल

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सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।