Dev Deepawali 2025: देव दिवाली पर बन रहा ये खास योग, इन पर जमकर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, घर पर जरूर करें ये उपाय

देव दीपावली के अवसर पर जब रात के समय काशी के घाटों पर अनगिनत दीप जलाए जाते हैं, तो पूरा दृश्य जैसे सुनहरी रौशनी में नहाया हुआ प्रतीत होता है। आइये जानते हैं इस दिन के बारे में और इस दिन की जरुरी जानकारियां।

Dev Deepawali 2025: देव दिवाली पर बन रहा ये खास योग, इन पर जमकर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, घर पर जरूर करें ये उपाय

Dev Deepawali 2025 / Image Source: IBC24

Modified Date: November 3, 2025 / 08:53 pm IST
Published Date: November 3, 2025 8:53 pm IST
HIGHLIGHTS
  • इस साल 5 नवंबर को काशी में देव दीपावली मनाई जाएगी।
  • भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था।
  • घाटों पर आतिशबाज़ी और नाव यात्रा इस रात को यादगार बनाते हैं।

Dev Deepawali 2025: हर साल दिवाली के बाद कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली आती है जो कि उत्तर प्रदेश के काशी में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं। इस साल की देव दीपावली 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। काशी यानि वाराणसी में इस पर्व की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु काशी में गंगा में डूबकी लगते हैं और दीपदान करते हैं। देव दीपावली के दिन भगवान शिव की नगरी काशी दीपों से जगमगाती है जिसकी खूबसूरती देखने लायक होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन आखिर काशी में ही क्यों देव दीपावली मनाई जाती है? आइये जानते हैं इसके पीछे की पूरी कहानी।

क्यों मनाई जाती है देव दीपावली?

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पृथ्वी पर त्रिपुरासुर नाम का राक्षस ने आतंक फैला दिया था और उससे परेशान होकर हर कोई त्राहि त्राहि कर रहा था। उस समय देव गणों ने भगवान शिव से जाकर त्रिपुरासुर राक्षस के संहार का निवेदन किया। जिसको स्वीकार करते हुए भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। ये देखकर सभी देवी-देवता काफी खुश हुए और भगवान शिव का आभार प्रकट करने के लिए काशी पहुंचे।

देव दीपावली 2025 का शुभ मुहूर्त

  • द्रिक पंचांग के अनुसार : पूर्णिमा तिथि
  • पूर्णिमा तिथि किन शुरुआत : 4 नवंबर रात 10:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि का समापन : 5 नवंबर शाम 6:48 बजे

समय इस प्रकार है-

  • शाम 5:30 – 6:20 बजे: घाटों पर दीप जलाने का समय।
  • शाम 5:30 – 6:20 बजे: घाटों पर दीप जलाने का समय।
  • शाम 7:00 – 7:45 बजे: दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती।
  • शाम 7:45 बजे के बाद: आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू।

घर पर जरूर करें ये उपाय

उत्तर दिशा में दीपक: देव दिवाली पर रात्रिकाल में घर की उत्तर दिशा में एक दीपक जरूर जलाएं। इस दिशा में स्वयं देवी लक्ष्मी का वास होता है। कहते हैं कि देव दिवाली पर उत्तर दिशा में दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक संकट दूर करती हैं। इतना ही नहीं, इस दिशा में दीपक जलाने से भगवान कुबेर भी प्रसन्न होते हैं।

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दान: देव दिवाली की रात भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करते हैं। इस दिन शाम को पूजा-पाठ के बाद पीले वस्त्र, पीला अनाज, केले, गुड़, चंदन, केसर या पीली वस्तुओं का दान करना बहुत लाभकारी माना जाता है। आप चाहें तो किसी गरीब या जरूरतमंद को सामर्थ्य के अनुसार खाने की चीज या धन का भी दान कर सकते हैं।

तुलसी : देव दिवाली पर शाम के समय तुलसी के समक्ष घी का एक दीपक जरूर जलाएं। फिर तुलसी की तीन बार परिक्रमा करते हुए मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। शाम को विष्णु जी की आराधना करते हुए उन्हें तुलसी दल का भोग भी अर्पित कर सकते हैं। इस दिन घर में तुलसी का नया पौधा रोपना भी बहुत उत्तम माना जाता है। कहते हैं कि देव दिवाली पर ये सरल से उपाय आपके घर को स्वर्ग के समान बना सकते हैं।

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