Premanand Maharaj: मैं 14 साल का हूं अखंड ब्रह्मचारी रहना चाहता हूं.. क्या करूं? सुनें प्रेमानंद महाराज ने क्या दिया जवाब
Premanand Maharaj: हाल ही में एक बालक ने उनसे पूछा- 'महाराज जी, मैं 14 साल का हूं और अखंड ब्रह्मचारी रहना चाहता हूं। क्या करूं? इस पर प्रेमानंद जी ने कहा, 'ब्रह्मचर्य का मार्ग बहुत कठिन है।
Premanand Maharaj, image source: Shri Premanand Maharaj facebook
मथुरा: Premanand Maharaj, वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज अपने दरबार में कथावाचन के साथ-साथ भक्तों के सवालों का जवाब देकर उनका मार्गदर्शन करते हैं। हाल ही में एक बालक ने उनसे पूछा- ‘महाराज जी, मैं 14 साल का हूं और अखंड ब्रह्मचारी रहना चाहता हूं। क्या करूं? इस पर प्रेमानंद जी ने कहा, ‘ब्रह्मचर्य का मार्ग बहुत कठिन है।
उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम तो आपको हमेशा गुरुजनों की नजर में होना चाहिए। दूसरा, सांसारिक दृष्टिकोण से पढ़-लिख रहे बच्चों के बीच नहीं रहना चाहिए। आपकी शिक्षा-दीक्षा सब गुरुकुल में होनी चाहिए। फिर गुरुकुल के सभी नियमों का पालन करना जरूरी है। इसमें एकांत सेवन, सात्विक आहार और असुविधायुक्त जीवन की ओर जाना पड़ता है। इसके अलावा, गुरुजनों के कठोर नियमों के बीच आज्ञाकारी बनकर रहना पड़ता है। तब जाकर अखंड ब्रह्मचर्य जीवन की प्राप्ति होती है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए अभी तुम बहुत छोटे हो। इसकी तपस्या कई बार खोखला कर देती है। पूर्वजन्म के संस्कार और कामनाएं इंसान को गिराना शुरू कर देती हैं। घर या स्कूल में अखंड ब्रह्मचर्या का माहौल नहीं मिलेगा। बेहतर होगा कि आप विवाह न होने तक ब्रह्मचर्या का पालन करें और अखंड ईश्वर के हाथ में छोड़ दें।

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