Jagannath Puri Mahaprasad : जगन्नाथ मंदिर में केवल मरणासन्न व्यक्ति को ही क्यों खिलाया जाता है ‘निर्मला महाप्रसाद’? आखिर क्या है इसकी वजह..
Why is 'Nirmala Mahaprasad' fed only to the dying person in Jagannath temple? What is the reason behind this..
Jagannath Puri Mahaprasad
Jagannath Puri Mahaprasad : निर्मला महाप्रसाद, जगन्नाथ पुरी मंदिर में मरने वाले व्यक्ति के लिए बनाया जाने वाला एक विशेष प्रसाद है। यह प्रसाद विशेष रूप से उन लोगों के लिए बनाया जाता है जो मृत्यु के करीब हैं। यह मुख्य रूप से सूखे चावल से बनता है और माना जाता है कि इसे खाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं, साथ ही आत्मा को शांति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह प्रसाद कोइली वैकुंठ में बनाया जाता है, जो मंदिर के पास स्थित है और जहां भगवान जगन्नाथ की पुरानी मूर्तियों को दफनाया जाता है, जिससे प्रसाद की पवित्रता और बढ़ जाती है।
Jagannath Puri Mahaprasad
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रसाद का वितरण ही नहीं बल्कि प्रसाद को ग्रहण करने से भी अनजाने में की गई गलतियां माफ होती हैं और भगवान हमें उन गलतियों को सुधारने का मौका देते हैं। भारत के कुछ मंदिर तो ऐसे हैं, जहां के प्रसाद की विशेष मान्यता है। ऐसा ही मंदिर है पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर। जगन्नाथ मंदिर के महाप्रसाद की मान्यता भारत में ही नहीं बल्कि विदेश के लिए भी यहां का दिव्य प्रसाद चर्चा का विषय है। जगन्नाथ मंदिर में तीन तरह के प्रसाद बनाए जाते हैं।
Jagannath Puri Mahaprasad
आइए, जानते हैं मरणासन्न व्यक्ति के लिए भगवान जगन्नाथ के प्रसाद का महत्व:
जगन्नाथ पुरी का महाप्रसाद तीन तरह का होता है। पहला संकुदी महाप्रसाद, जिसे मंदिर में ही ग्रहण करना होता है और भक्त इसे घर नहीं ले जा सकते हैं। इसमें सभी प्रकार के भोग यानी चावल, दाल, सब्जियां, दलिया आदि आते हैं।
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दूसरे प्रकार का महाप्रसाद सुखिला कहलाता है, जिसमें सूखी मिठाइयां शामिल होती हैं। इस प्रसाद को भक्त अपने घर भी लेकर आते हैं और परिवार व रिश्तेदारों को बांटते हैं।
इसके अलावा यहां निर्मला प्रसाद के नाम से भी एक अन्य प्रसाद मिलता है, जिसमें सूखे चावल होते हैं। मंदिर के पास कोइली वैकुंठ में इस प्रसाद को खासतौर पर मरणासन्न व्यक्तियों के लिए बनाया जाता है। मान्यता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से मरने वाले व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
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यह प्रसाद क्यों खास है?
यह प्रसाद भगवान जगन्नाथ के महाप्रसाद के समान ही महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे मृत्यु के भय को कम करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए ग्रहण किया जाता है।
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