Janmashtami 2023 : जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की इस विधि से पूजा करने पर पूरे होंगे सभी मनोरथ, “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” का करें जाप

Janmashtami 2023 Shubh muhurt

Janmashtami 2023 : जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की इस विधि से पूजा करने पर पूरे होंगे सभी मनोरथ, “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” का करें जाप

janmashtmi shubh muhurt

Modified Date: September 7, 2023 / 11:40 am IST
Published Date: September 7, 2023 11:24 am IST

Janmashtami 2023 Shubh muhurt

Janmashtami 2023: पूरे देश में आज पूरे धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है, मथुरा-वृंदावन से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में सुबह से मंदिरों में राधा कृष्णा के जयकारे गूंज रहे हैं। जिन लोगों ने 6 सितंबर को जन्माष्टमी नहीं मनाई, वे आज यह त्योहार मनाएंगे। हम आपको इस लेख में जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बताने जा रहे हैं।

शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2023 Shubh muhurt)

आपको बता दें कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि 12 बजे हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी पर भगवान की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त रात 12 बजे ही माना जाता है। 7 सितंबर की रात 12 बजते ही आप भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा कर सकते हैं। जन्माष्टमी के व्रत का पारण समय शुक्रवार, 8 सितंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट के बाद रहेगा।

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की कैसी मूर्ति लाएं?

जन्माष्टमी पर सामान्यत: बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है, आप अपनी मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं, संतान के लिए बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। धन प्राप्ति के लिए कामधेनु गाय के साथ विराजमान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें. पीले रंग के वस्त्र और चंदन की सुगंध से भगवान का श्रृंगार करें। इसमें काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें। वैजयंती के फूल अगर कृष्ण जी को अर्पित करें तो सर्वोत्तम होगा।

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जन्माष्टमी की पूजन विधि (Janmashtami 2023 puja vidhi)

जन्माष्टमी पर सुबह-सुबह स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और पूजा के बाद व्रत का संकल्प लें। आप यह व्रत जलाहार या फलाहार रख सकते हैं, दिनभर सात्विक रहने के बाद मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा किसी पात्र में रखें। उस प्रतिमा को दूध, दही, शहद, शर्करा और घी से स्नान कराएं। इसे पंचामृत स्नान कहा जाता है, इसके बाद बाल गोपाल को जल से स्नान कराएं, ध्यान रहे कि ये चीजें शंख में डालकर ही अर्पित की जाएंगी। इसके बाद पीताम्बर, पुष्प और माखन मिश्री के प्रसाद का भोग लगाएं, फिर भगवान को झूले में बैठाकर झुलाएं।

खीरे से कराएं बाल गोपाल का जन्म

जन्म के समय जिस तरह बच्चे को गर्भनाल काटकर गर्भाशय से अलग किया जाता है। ठीक उसी प्रकार जन्माष्टमी पर खीरे का डंठल काटकर कान्हा का जन्म कराने की परंपरा है, जन्माष्टमी पर खीरा काटने का मतलब बाल गोपाल को मां देवकी के गर्भ से अलग करना है। खीरे से डंठल को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है। भादो कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, जन्माष्टमी की रात डंठल और हल्की सी पत्तियों वाले खीरे को कान्हा की पूजा में उपयोग करें, रात के 12 बजते ही खीरे के डंठल को किसी सिक्के से काटकर कान्हा का जन्म कराएं, इसके बाद शंख बजाकर बाल गोपाल के आने की खुशियां मनाएं।

IBC24 मध्य प्रदेश (सर्वे फार्म)

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com