Kartik Purnima 2025 Moon Rising: आज कार्तिक पूर्णिमा पर, चंद्रमा को अर्घ्य देकर पाएं अमृत तुल्य लाभ! जान लें विधि, चंद्रोदय का समय एवं महत्त्व
हिन्दू पंचांग में कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष 2025 में, यह 5 नवंबर यानी की आज मनाई जा रही है। इस दिन चंद्र देव की कृपा पाने के लिए शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
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Kartik Purnima 2025 Moon Rising: हिन्दू पंचांग में कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्ष 2025 में, यह 5 नवंबर यानी की आज मनाई जा रही है। इस दिन चंद्र देव की कृपा पाने के लिए शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आईये आपको बताइये की चन्द्रमा को क्यों दिया जाता है अर्घ्य?
Kartik Purnima 2025: इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
हिन्दू धर्म में चन्द्रमा को ‘चंद्रदेव’, ‘हिमांशु’, ‘सोम’ तथा ‘मयंक’ के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार चन्द्रमा भगवान् शिव और माता पार्वती जी के वंशज एवं दक्ष प्रजापति के पुत्र हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की किरणे अमृतुल्य मानी जाती हैं जो पृथ्वी को ऊर्जा प्रदान करती हैं। इस दिन चन्द्रम को अर्घ्य मानसिक शांति, स्वास्थ्य में सुधार, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह नकारात्मक विचारों को दूर करने और चंद्रमा की स्थिति को मजबूत करने में मदद करता है।
सिख धर्म में इसे ‘गुरु नानक जयंती’ के रूप में मनाया जाता है, लेकिन हिंदू परंपरा में चंद्र पूजन प्रमुख है। कार्तिक महीने की पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ मन जाता हैं तथा कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है।
Kartik Purnima 2025: चंद्रोदय का समय एवं अर्घ्य देने की विधि
मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती हैं एवं चंद्र देव का विशेष आशीष प्राप्त होता है। आईये आपको बताते हैं चंद्रोदय का समय एवं कैसे दें चन्द्रमा को अर्घ्य?
चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि बहुत ही सरल लेकिन श्रद्धापूर्ण है। चंद्रोदय का समय कार्तिक पूर्णिमा का सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता है, क्योंकि पूजन इसी समय किया जाता है। आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय 5 बजकर 11 मिनट पर होगा।
चंद्रोदय होने के पश्चात् एक तांबे या चांदी के लोटे में दूध, जल, चंदन, कुमकुम, फूल, अक्षत मिलकर जल मिश्रित अर्घ्य अर्पण करें। प्रार्थना करें और कहें कि: “हे चंद्र देव, कृपा करो।”
‘ॐ सों सोमाय नमः‘ मंत्र का 108 बार जाप करें करके चंद्र स्तोत्र का पाठ पढ़ें। चंद्र देव को खीर का भोग लगाएं और आरती करें।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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