Magha Purnima 2024: माघ पूर्णिमा में जरूर करें भगवाना सत्यनारायण की पूजा, जानें क्या है इसकी पूजा विधि और मुहूर्त

Magha Purnima 2024: माघ पूर्णिमा में जरूर करें भगवाना सत्यनारायण की पूजा, जानें क्या है इसकी पूजा विधि और मुहूर्त

Magha Purnima 2024: माघ पूर्णिमा में जरूर करें भगवाना सत्यनारायण की पूजा, जानें क्या है इसकी पूजा विधि और मुहूर्त

Vaishakh Purnima 2024

Modified Date: February 24, 2024 / 02:46 pm IST
Published Date: February 24, 2024 2:46 pm IST

Magha Purnima 2024: आज से माघ पूर्णिमा का पर्व शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का बड़ा महत्व माना जाता है। माघ पूर्णिमा भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा करने से कई गुना अधिक पुण्य और शुभ फल की प्राप्ति होती है। नदी घाटों में श्रध्दालु आस्था की डुबकी लगा कर दीपदान कर रहे हैं। वहीं मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है। इस साल माघ पूर्णिमा 24 फरवरी, 2024 दिन शनिवार यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस दिन भगवान सत्यनाराण की पूजा कराना बेहद शुभ माना जाता है। माघ पूर्णिमा में इस मुहूर्तऔर विधि से पूजा करने से भगवान सत्यनारायण प्रसन्न होते हैं।

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 तिथि और पूजा मुहूर्त

माघ पूर्णिमा के लिए पूर्णिमा तिथि शुरुआत – 23 फरवरी 2024 – दोपहर 03:33 से है जो कि पूर्णिमा तिथि समापन – 24 फरवरी 2024 – शाम 05:49 बजे तक रहेगी। वहीं पूजा मुहूर्त  24 फरवरी को दोपहर 03:26 से 04:51 तक रहेगा।

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माघ पूर्णिमा का महत्व

हिन्दू धर्म में माघ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा अति शुभ मानी जाती है। यही वजह है कि लोग इस दिन व्रत करके भगवान विष्णु और चंद्र देव का आशीर्वाद लेते हैं। साथ ही इस दिन को पूजा अनुष्ठान, हवन और यज्ञ करने के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसके अलावा यह तिथि पवित्र स्थानों पर जाने और गंगा नदी में स्नान करने के लिए समर्पित है।

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ऐसे करें सत्यनारायण की पूजा

Magha Purnima 2024: इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करके स्वच्छ और सुंदर कपड़े पहनें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लें और उसमें भगवान विष्णु, सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। विधि अनुसार भगवान की प्रतिमा का अभिषेक करें।पीले वस्त्र और फूलों की माला चढ़ाएं और भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीया जलाएं और तुलसी पत्र अर्पित करें। इतना करने के बाद भगवान को पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाएं और पूजा मुहूर्त के अनुसार, सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ें। कथा के बाद अंत में सत्यनारायण भगवान की आरती करें और सभी पूजा अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद व्रती अपना उपवास खोल सकते हैं।

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