परंपरागत स्वरूप से हटकर हो सकती है धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद

परंपरागत स्वरूप से हटकर हो सकती है धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद

परंपरागत स्वरूप से हटकर हो सकती है धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद
Modified Date: November 29, 2022 / 08:43 pm IST
Published Date: September 20, 2020 10:33 am IST

लखनऊ। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मिली जमीन पर बनने जा रही मस्जिद का नाम किसी भी भाषा या राजा के नाम पर नहीं होगा और इस इबादतगाह की बनावट भी परंपरागत स्वरूप से बिल्कुल अलग हो सकती है। न्यायालय के आदेश पर सरकार से मिली पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद, इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, संग्रहालय और अस्पताल बनाने जा रहे इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव एवं प्रवक्ता अतहर हुसैन ने रविवार को ‘भाषा’ को बताया कि धन्नीपुर गांव में 15,000 वर्ग फिट की मस्जिद बनाई जाएगी। यह रकबा बिल्कुल बाबरी मस्जिद के बराबर ही होगा।

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उन्होंने बताया कि हालांकि इस मस्जिद का आकार बाकी मस्जिदों से बिल्कुल अलग होगा। यह मक्का में स्थित काबा शरीफ की तरह चौकोर हो सकता है, जैसा कि मस्जिद के वास्तुशास्त्री नियुक्त किए गए प्रोफेसर एस एम अख्तर ने अपने कुछ बयानों में इशारा भी दिया है। हालांकि, अभी इस बारे में कुछ भी तय नहीं हुआ है। इस सवाल पर कि क्या काबा शरीफ की ही तरह धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद में भी कोई गुंबद या मीनार नहीं होगी, हुसैन ने कहा कि हां ऐसा हो सकता है।

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आईआईसीएस सचिव ने बताया कि देश-विदेश में जहां कहीं भी मस्जिदें स्थित हैं उनका स्थापत्य या वास्तुकला उसी क्षेत्र विशेष या उसके निर्माणकर्ता लोगों के वतन की मान्यताओं के अनुसार तय किया जाता था। मगर यह जरूरी नहीं है कि वह विशुद्ध इस्लामी ही हो। उन्होंने बताया कि काबा इस्लामिक आस्था की आदिकालीन इमारत है। लिहाजा इबादतगाह का स्वरूप अगर काबा जैसा ही हो तो वह बेहतर है। हुसैन ने कहा कि ट्रस्ट ने वास्तुशास्त्री अख्तर को मुक्त हस्त दे रखा है कि वह अपने हिसाब से काम करें।

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आईआईसीएफ सचिव हुसैन ने बताया कि ट्रस्ट ने तय किया है कि धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद नहीं होगी यहां तक कि यह किसी भी अन्य बादशाह या राजा के नाम पर भी नहीं होगी। उनकी निजी राय है कि मस्जिद का नाम धन्नीपुर मस्जिद रखा जाए। उन्होंने बताया कि इंडो इस्लामिक कल्चरल ट्रस्ट ने अपना एक पोर्टल तैयार किया है जिसके जरिए लोग मस्जिद, संग्रहालय, अस्पताल और रिसर्च सेंटर के लिए चंदा दे सकेंगे। इसके अलावा पोर्टल पर राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस्लामी विद्वानों से लेखों और विचारों के रूप में योगदान लिया जाएगा।

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हुसैन ने बताया कि हालांकि अभी पोर्टल पर कुछ काम बाकी है। इस वजह से अभी चंदा जमा करने का काम शुरू नहीं हुआ है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ नवंबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण में फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था।

 


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