Nahay Khay 2025: कल 25 अक्टूबर से होने वाली है छठ पूजा की शुभ शुरुआत, नहाय-खाय की पावन विधि से पाएँ सूर्य देव और छठी मैय्या की कृपा

नहाय-खाय, जिसका अर्थ है “स्नान और भोजन”, छठ पूजा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन सूर्य की पहली किरणें छठी मैय्या की कृपा के साथ मिलकर संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। आईये आपको बताते हैं शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि..

Nahay Khay 2025: कल 25 अक्टूबर से होने वाली है छठ पूजा की शुभ शुरुआत, नहाय-खाय की पावन विधि से पाएँ सूर्य देव और छठी मैय्या की कृपा

Nahay Khay 2025

Modified Date: October 24, 2025 / 06:48 pm IST
Published Date: October 24, 2025 6:48 pm IST

Nahay Khay 2025: छठ महापर्व भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का अनमोल रत्न है, जो सूर्य देव की जीवनदायिनी ऊर्जा और छठी मैय्या की ममता को समर्पित है। यह चार दिवसीय महापर्व, जो बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल और विश्वभर के प्रवासी भारतीयों के दिलों में बस्ता है, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर केंद्रित है। 2025 में यह पर्व 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होकर 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य तक चलेगा। नहाय-खाय, छठ पूजा का पहला दिन, शुद्धिकरण और सात्विक भोजन का प्रतीक है, जो व्रत की पवित्र यात्रा की नींव रखता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में स्नान और पूजा करने से सूर्य देव और छठी मैय्या की कृपा प्राप्त होती है, जो संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती है।

नहाय-खाय, जिसका अर्थ है “स्नान और भोजन”, छठ पूजा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यह शुद्धिकरण का प्रतीक है, जो न केवल शरीर, बल्कि मन और आत्मा को भी पवित्र करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य की पहली किरणें विशेष ऊर्जा प्रदान करती हैं, जो छठी मैय्या की कृपा के साथ मिलकर संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
नहाय-खाय पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक एकता का भी संदेश देता है, क्योंकि यह नदियों या जलाशयों में स्नान और सात्विक भोजन के माध्यम से प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करता है। यह दिन व्रत की कठिन यात्रा के लिए भक्तों को मानसिक रूप से तैयार करता है, जो खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य तक चलती है।

Nahay Khay 2025: 25 अक्टूबर 2025 नहाय-खाय का शुभ मुहूर्त

सूर्योदय मुहूर्त: सुबह 6:15 बजे से 6:45 बजे – स्नान और सूर्य को जल अर्पण के लिए सर्वोत्तम समय।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:50 बजे से 12:45 बजे – पूजा स्थल की शुद्धि और सामग्री संकलन के लिए शुभ।
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:00 बजे से 2:45 बजे – सात्विक भोजन और प्रसाद तैयार करने का आदर्श समय।
संध्या मुहूर्त: शाम 5:30 बजे से 6:15 बजे – दीप प्रज्वलन और प्रार्थना के लिए।
समग्र पूजा अवधि: सुबह 6:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक – पूजा और प्रसाद वितरण के लिए शुभ।

 ⁠

Nahay Khay 2025: नहाय-खाय की पूजा विधि

नहाय-खाय की पूजा विधि सरल किंतु कठोर नियमों वाली है, जो भक्ति, शुद्धता और अनुशासन पर आधारित है। आईये आपको बताएं पूजा की सरल विधि..

प्रातः स्नान (नहाय): सूर्योदय के समय (6:15-6:45 बजे) नदी, तालाब या स्वच्छ जलाशय में स्नान करें। यदि संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें (महिलाएँ पीले या लाल वस्त्र, पुरुष धोती-कुर्ता)।
सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें, मंत्र जाप करें: “ॐ सूर्याय नमः” (11 बार)

घर और पूजा स्थल की शुद्धि: घर को गंगाजल और गोमूत्र छिड़ककर शुद्ध करें। रसोई और पूजा स्थल को विशेष रूप से लीप-पोतकर स्वच्छ करें।
पूजा स्थल पर सूर्य देव और छठी मैय्या की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। लाल कपड़ा बिछाएँ और दीप प्रज्वलित करें।

पूजा सामग्री संकलन

– प्रसाद: कद्दू, चावल, चने की दाल, गुड़, हल्दी, फल (केला, सेब), दूध, ठेकुए की सामग्री (गेहूँ का आटा, गुड़)।
– अन्य सामग्री: बाँस की सूप, लाल चुनरी, फूल, चंदन, रोली, दीपक, धूप, अगरबत्ती।
सामग्री को शुभ मुहूर्त में इकट्ठा करें और सूप में व्यवस्थित करें।

सूर्य और छठी मैय्या की पूजा:
– अभिजीत मुहूर्त (11:50-12:45 बजे) में पूजा शुरू करें।
– सूर्य देव को जल, दूध और फूल अर्पित करें। छठी मैय्या को लाल चुनरी, चंदन और फूल चढ़ाएँ।
– मंत्र: “ॐ छठी माइय्या की जय, ॐ सूर्य देवाय नमः” (21 बार)।
– संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करें।

सात्विक भोजन (खाय) 

दोपहर में सात्विक भोजन तैयार करें: कद्दू की सब्जी, चने की दाल, चावल और गुड़ का प्रसाद।
व्रती और परिवारजन एक साथ भोजन करें। व्रती केवल एक बार भोजन करें, जो खरना तक उपवास की तैयारी है।
भोजन शुद्ध और तामसिक सामग्री (लहसुन, प्याज, मांस) से मुक्त हो।

संध्या पूजा और भजन

सूर्यास्त (5:30-6:15 बजे) पर दीपक जलाकर सूर्य और छठी मैय्या की आरती करें।
प्रसाद वितरण करें और छठी मैय्या के भजन गाएँ, जैसे “उगहु सूरज देव, अरघ के बेर”।
परिवार और समुदाय के साथ भक्ति का माहौल बनाएँ।

नियम और सावधानियाँ

पूरे दिन तामसिक भोजन, क्रोध और नकारात्मक विचारों से बचें।
व्रती स्वच्छता और संयम का पालन करें। महिलाएँ विशेष रूप से व्रत रखें।
घर में शांति और पवित्रता बनाए रखें।

यहाँ पढ़ें

Chhath Puja: गन्ना क्यों है छठी मैय्या का प्रिय प्रसाद? जान लीजिये क्यों इस प्रसाद के बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती?

Chhath Puja ka Rahasya: छठी मैया की आराधना क्यों है अनिवार्य? सूर्य देव से क्या है नाता, छठ पूजा पर क्यों पूजे जाते हैं दोनों एक साथ?

Gajmukh ki Kahani : आख़िरकार हाथी का ही शीश क्यों लगा श्री गणेश के सर पर? आईये जानते हैं इस रोचक कहानी के माध्यम से..


लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.