Chhath Puja: गन्ना क्यों है छठी मैय्या का प्रिय प्रसाद? जान लीजिये क्यों इस प्रसाद के बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती?
गन्ना छठ पूजा का एक अभिन्न अंग है, जिसे सूर्य देव और छठी मैय्या को अर्पित किया जाता है। आईये जानते हैं क्यों है गन्ना छठ पूजा की पहचान..?
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Chhath Puja: छठ पूजा में गन्ना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छठी मैया का प्रिय फल माना जाता है और पवित्रता का प्रतीक है। छठ पूजा पर गन्ना एक विशेष प्रसाद के रूप में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। गन्ना केवल एक प्रसाद नहीं, बल्कि समृद्धि, मिठास और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह सूर्य और छठी मैय्या की पूजा को पूर्णता प्रदान करता है।
Chhath Puja: प्रकृति, भक्ति और समृद्धि का प्रतीक है गन्ना
छठ पूजा में गन्ना एक साधारण प्रसाद से कहीं अधिक है; यह सूर्य, छठी मैय्या और मानव जीवन के बीच एक पवित्र सेतु है। आईये जानते हैं इसके महत्व :
- प्रकृति के प्रति आभार: गन्ना एक कृषि उत्पाद है, जो सूर्य की किरणों और जल की शक्ति से पनपता है। इसे छठ पूजा में अर्पित करना प्रकृति के प्रति आभार और किसानों की मेहनत को सम्मान देने का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन का आधार प्रकृति और उसकी देन है।
- सूर्य की ऊर्जा का प्रतिबिंब: गन्ना सूर्य की ऊर्जा को अवशोषित कर मिठास में परिवर्तित करता है। यह सूर्य देव की जीवन दायिनी शक्ति का प्रतीक है। संध्या और उषा अर्घ्य के समय गन्ने को सूप में रखकर सूर्य को समर्पित करना उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।
- आंगन में ‘गन्ने का घर’: कई जगहों पर लोग गन्ने का घर बनाते हैं और उसके नीचे हाथी रखकर छठी मैया की पूजा करते हैं, खासकर ‘कोसी’ भरते समय।
- प्रसाद: गन्ने के रस या गुड़ से बना प्रसाद ‘खरना’ के समय चढ़ाया जाता है, जो छठ पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- संतान सुख और मिठास का आशीर्वाद: गन्ने की मिठास जीवन में सुख, शांति और संतान सुख की कामना को दर्शाती है। लोक मान्यताओं में, गन्ना छठी मैय्या को विशेष रूप से प्रिय है, जो संतानों की रक्षा और दीर्घायु का आशीर्वाद देती हैं। दो गन्नों की जोड़ी सूर्य और छठी मैय्या के भाई-बहन के बंधन को भी मज़बूत करती है।
- आयुर्वेदिक और स्वास्थ्य लाभ: गन्ने का रस प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत है, जो निर्जला व्रत के दौरान भक्तों को शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है। कुछ परिवारों में व्रत समापन के बाद गन्ने का रस पीकर उपवास तोड़ा जाता है, जो स्वास्थ्यवर्धक भी है।
- गन्ने का उपयोग छठ घाटों को सजाने और पूजा स्थल पर छाया बनाने में भी होता है। यह समृद्धि और सौंदर्य का प्रतीक है, जो पर्व के उत्सवी माहौल को और भी जीवंत तथा खुशनुमा बनाता है।
छठ पूजा की विधि में गन्ने का उपयोग
- प्रसाद के रूप में: गन्ने को बाँस की सूप में ठेकुआ, फल और दूध के साथ रखा जाता है और सूर्य को अर्पित किया जाता है।
- अर्घ्य के समय: संध्या और उषा अर्घ्य के दौरान गन्ना सूर्य और छठी मैय्या को समर्पित होता है, जो पूजा की पवित्रता को बढ़ाता है।
- घाट की सजावट: गन्ने का उपयोग छठ घाट पर छाया बनाने या पूजा स्थल को सजाने में होता है, जो समृद्धि और सौंदर्य का प्रतीक है।
- व्रत समापन: कुछ परिवारों में व्रत के बाद गन्ने का रस पीकर उपवास तोड़ा जाता है, जो स्वास्थ्यवर्धक और प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत है।
गन्ने के आध्यात्मिक महत्व की पौराणिक कथा
छठ पूजा में गन्ने की महत्ता को समझने के लिए एक पौराणिक कथा प्रचलित है। राजा प्रियंवद और रानी मालिनी, जो संतानहीन थे, ने महर्षि कश्यप के मार्गदर्शन में पुत्रेष्टि यज्ञ किया। यज्ञ से प्राप्त खीर खाने के बाद रानी ने पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह मृत पैदा हुआ। श्मशान में दुखी राजा आत्महत्या करने जा रहा था, तभी छठी मैय्या प्रकट हुईं और बोलीं, “मैं सृष्टि की छठी शक्ति हूँ, संतान की रक्षक। कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मेरा व्रत करो और सूर्य को गन्ना अर्पित करो।” राजा-रानी ने गन्ने के साथ व्रत किया, और चमत्कारिक रूप से उनका पुत्र जीवित हो गया। इस कथा से गन्ने का महत्व स्पष्ट होता है, जो छठी मैय्या की कृपा और सूर्य की शक्ति को जोड़ता है।
एक अन्य लोक मान्यता में, गन्ने की जोड़ी सूर्य और छठी मैय्या के भाई-बहन के बंधन को दर्शाती है। गन्ने की मिठास संतान सुख और पारिवारिक एकता की कामना को मज़बूत करती है।
आधुनिक युग में, जब लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, छठ पूजा में गन्ना हमें हमारी कृषि संस्कृति और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की याद दिलाता है। यह पर्व सामुदायिक एकता को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि गन्ना और अन्य प्रसाद परिवार और समुदाय के साथ मिलकर तैयार किए जाते हैं। गन्ने की मिठास न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करती है, जो आज के तनावपूर्ण जीवन में अत्यंत आवश्यक है।
गन्ना छठ पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो सूर्य की ऊर्जा, छठी मैय्या की ममता और प्रकृति की मिठास का प्रतीक है। यह न केवल पूजा की पवित्रता को बढ़ाता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख की कामना को भी पूरा करता है। गन्ने के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
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