Shree Samsthan Gokarn Partagali Jeevottam Math: गोवा का पर्तगाली जीवोत्तम मठ चर्चा में क्यों है? 77 फुट की भगवान राम प्रतिमा ने बनाया नया इतिहास! यह मठ आखिर इतना खास क्यों?

श्री संस्थान गोकरण पर्तगाली जीवोत्तम मठ एक जीवंत परंपरा है, जो द्वैत दर्शन के ज़रिये भक्ति एवं एकता का संदेश देता है। हाल ही में 28 नवंबर 2025 को यहाँ 550वीं वर्षगाँठ मना रहे इस मठ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 77 फुट ऊँची भगवान् श्री राम की कांस्य की प्रतीमा का उद्घाटन किया, जो कि दक्षिण भारत की सबसे ऊँची भगवान श्री राम की प्रतिमा है।

Shree Samsthan Gokarn Partagali Jeevottam Math: गोवा का पर्तगाली जीवोत्तम मठ चर्चा में क्यों है? 77 फुट की भगवान राम प्रतिमा ने बनाया नया इतिहास! यह मठ आखिर इतना खास क्यों?

Shri Samsthan gokarn Purtagali Jeevottam Math/Image Source: IBC24

Modified Date: December 3, 2025 / 11:43 am IST
Published Date: November 29, 2025 4:18 pm IST
HIGHLIGHTS
  • पर्तगाली मठ का दिव्य दर्शन: जहाँ श्रीराम की प्रतिमा देखकर आँखें भर आती हैं!
  • श्री संस्थान गोकरण पर्तगाली जीवोत्तम मठ: 550 वर्षों की अटूट द्वैत परंपरा!

Shree Samsthan Gokarn Partagali Jeevottam Math: श्री संस्थान गोकर्ण पर्तगाली जीवोत्तम मठ भारत के प्रतिष्ठित एवं सबसे प्राचीन मठों में से एक है जिसे पर्तगाली मठ या गोकर्ण मठ के नाम से भी जाना जाता है। यह द्वैत वेदांत क्रम का पहला गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (GSB) समुदाय का प्रथम वैष्णव मठ है, जो कि 13वीं शताब्दी ईस्वी में जगद्गुरु माधवाचार्य द्वारा स्थापित की गयी एक प्रणाली है। इस मठ को पर्तगाली जीवोत्तम भी कहा जाता है और इसका केन्द्र स्थान कुशावती नदी के तट पर दक्षिण गोवा के एक छोटे से शहर पर्तगाली में है। यह केवल एक मठ नहीं, बल्कि गौड़ सारस्वत ब्राह्मण समुदाय की आत्मा है।

2025 में, हाल ही में 28 नवंबर को इस मठ का महत्त्व और भी बढ़ गया जब यहाँ 550वीं वर्षगाँठ मना रहे इस मठ में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 77 फुट ऊँची भगवान् श्री राम की कांस्य की प्रतीमा का उद्घाटन किया, जो कि दक्षिण भारत की सबसे ऊँची भगवान श्री राम की प्रतिमा है साथ ही भव्य रामायण थीम पार्क ने इसे वैश्विक स्तर पर एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है। यह 20 एकड़ में फैला, 108 अद्भुत दृश्यों वाला विश्व का सबसे बड़ा रामायण थीम पार्क है।

Shree Samsthan Gokarn Partagali Jeevottam Math: पर्तगाली मठ का इतिहास

इस मठ की वास्तविक स्थापना, हिमालय की बद्रिकाश्रम में 1475 ईस्वी में हुई थी जब श्री नारायण तीर्थ स्वामी जी ने पालीमारु मठ के श्री राम चंद्र तीर्थ स्वामी जी से दीक्षा प्राप्त कर इसकी नींव रखी।

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यह भी कहा जाता है कि इस मठ का निर्माण पालीमार से अलग होकर उडुपी में शिमद आनंद तीर्थरू (माधवाचार्य) द्वारा किया गया था। पालीमारू मठ के 10वें गुरु श्री रामचंद्र तीर्थ एक बार हिमालय की तीर्थयात्रा पर निकले और वहां गंभीर रूप से गुरु बीमार पड़ गए। उडुपी से बहुत दूर होने के कारण वो मुख्यालय से संपर्क करने में असमर्थ थे। उन्हें ये डर अंदर ही अंदर खाये जा रहा था कि यदि उनके प्राण चले गए तो मठ के आचार्यों की परंपरा समाप्त हो सकती है, इसलिए एक वैकल्पिक रास्ता खोजकर उन्होंने एक सारस्वत ब्रह्मचारी को शिष्य बनाया और उसे दीक्षा दी। मठ परंपरा में दीक्षित करने के बाद गुरु ने इस शिष्य को श्री नारायण तीर्थ नाम दिया। गुरु ने दीक्षा देने के बाद श्री नारायण तीर्थ को वापस जाने की सलाह दी। इसके बाद श्री नारायण तीर्थ ने उत्तर भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों का दर्शन करने के बाद अंत में श्री संस्थान गोकर्ण र्पतगाली जीवोत्तम मठ की शुरुआत की। बाद में, गोवा के गोकरण (कर्नाटक सीमा पर) में स्थानांतरित होने के कारण इसे गोकरण मठ कहा जाने लगा। 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली आक्रमणों के दौरान मठ को पर्तगाली (गोवा) स्थानांतरित कर दिया गया, जहां तीसरे गुरु श्रीमद जीवोत्तम तीर्थ स्वामीजी ने इसे मजबूत आधार प्रदान किया।

Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.