Singh Sankranti will be celebrated on this day

इस दिन मनाई जाएगी सिंह संक्रांति, यश और कीर्ति बढ़ाने के लिए आजमाएं ये उपाय, जानें महत्त्व

इस दिन मनाई जाएगी सिंह संक्रांति, यश और कीर्ति बढ़ाने के लिए आजमाएं ये उपाय, जानें महत्त्व Singh Sankranti will be celebrated on this day

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 05:25 AM IST, Published Date : August 16, 2022/5:56 am IST

Singh Sankranti 2022: भाद्रपद या भादो के महीने में जब सूरज अपनी राशि परिवर्तन करते हैं, तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति कहा जाता है। इस साल सिंह संक्रांति 17 अगस्त 2022 तिथि को है। हर माह सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। ग्रहों के राजा सूर्य देव 17 अगस्त को सुबह 07:14 मिनट पर कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वराशि सिंह में प्रवेश करेंगे। सिंह संक्रांति पर सूर्यदेव के साथ भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा का विधान है। स्नान, दान के साथ इस दिन घी के सेवन का बहुत महत्व है।

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घी का सेवन
– सिंह संक्रांति पर घी का सेवन करने की परंपरा है इसलिए इसे घी संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। गाय का घी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इस दिन घी का सेवन बहुत लाभकारी माना जाता है।
– धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सिंह संक्रांति पर गाय का घी खाने से कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
– सिंह संक्रांति के दिन घी का सेवन करने से स्मरण शक्ति में बढ़ोत्तरी, ऊर्जा, तेज और बुद्धि में वृद्धि होती है। कहते हैं कि जो व्यक्ति इस दिन घी का सेवन नहीं करता वो अगले जन्म में घोंघे के रुप में पैदा होता है।

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सिंह संक्रांति का महत्त्व
Singh Sankranti 2022: मान्यता है कि सिंह संक्रांति के दिन गाय का घी खाने का विशेष महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि घी स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा और ताकत बढ़ाता है। घी को वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक माना जाता है। दूध से बने दही और उसे मथ कर तैयार किए गए मक्खन को धीमी आंच पर पिघलाकर घी तैयार किया जाता है। सिंह संक्रांति को घी संक्रांति (घीया संक्रांत) कहा जाता है। गढ़वाल में इसे आम भाषा में घीया संक्रांत कहा जाता है। उत्तराखंड में लगभग सिंह संक्रांति के दिन हर जगह घी खाना जरूरी माना जाता है।

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सिंह संक्रांति मानाने का तरीका
Singh Sankranti 2022: सिंह संक्रांति के दिन कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिसमें दाल की भरवा रोटी, खीर, गाबा को प्रमुख माना जाता है। मान्यता है कि दाल की भरवा रोटी के साथ घी का सेवन किया जाता है। एक रोटी को बेटू रोटी भी कहा जाता है। उड़द की दाल पीसकर पीठा बनाया जाता है और उसे पकाकर घी से खाया जाता है।

अरबी नाम की सब्जी के खिले पत्तों की सब्जी रोटी के साथ खाने के लिए बनाई जाती है। इन पत्तों की सब्जी को गाबा कहा जाता है। इसके साथ ही समाज के अन्य वर्ग जैसे वस्तुकार, शिल्पकार, दस्तकार, लोहार, बढ़ई द्वारा हाथ से बनी हुई चीजों को तोहफे के रूप में दान दिया जाता है।

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