मात्र 84 सेकंड है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त, जानें किस विद्वान ने निकाली 22 जनवरी 2024 की तारीख |

मात्र 84 सेकंड है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त, जानें किस विद्वान ने निकाली 22 जनवरी 2024 की तारीख

ram mandir pran pratishtha muhurt: यह मुहूर्त किसी और ने नहीं बल्कि उन्हीं पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है जिन्होंने राममंदिर के शिलान्यास और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन का भी मुहूर्त निकाला था।

Edited By :   Modified Date:  December 23, 2023 / 11:42 PM IST, Published Date : December 23, 2023/11:42 pm IST

Ram Mandir pran pratishtha muhurt: वाराणसी: राम मंदिर के अभिषेक के लिए शुभ समय पर पुजारी गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने कहा कि, “सोमवार 22 जनवरी 2024 को दोपहर, अभिजीत मुहूर्त के दौरान राम मंदिर के अभिषेक के लिए शुभ समय तय किया गया है। सटीक समय दोपहर करीब 12:30 बजे है जो 84 सेकंड तक रहेगा…”

बता दें कि अयोध्या में राममंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को होना तय हुआ है। इसी दिन खास मुहूर्त में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा भी होगा। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए खास मुहूर्त केवल 84 सेकेंड का है। यह मुहूर्त किसी और ने नहीं बल्कि उन्हीं पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला है जिन्होंने राममंदिर के शिलान्यास और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन का भी मुहूर्त निकाला था।

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काशी में जब 13 दिसंबर की तारीख उद्घाटन के लिए शुभ मानी गई तो काफी विद्वानों ने विरोध भी किया था। लोग 13 नंबर से सहमत नहीं थे। तब भी गणेश्वर शास्त्री ने ही सभी की शंकाओं का समाधान किया था। काशी के रामघाट इलाके में गंगा किनारे रहने वाले पंडित गणेश्वर शास्त्री मूल रूप से दक्षिण भारत से यहां आए थे। उनके साथ भाई पंडित विश्वेश्वर शास्त्री भी रहते हैं। वह भी प्रकांड विद्वान हैं। ज्यादातर बड़े मुहूर्त दोनों भाई मिलकर ही निकालते हैं।

ग्रह, नक्षत्र, चौघड़ियों का पंडित गणेश्वर शास्त्री से बड़ा देश में कोई जानकार नहीं है। बड़े से बड़े मुहूर्तों के धर्मसंकट से निकालने का हुनर भी यह जानते हैं। यहां उनकी अपनी शास्त्रार्थशाला है। उनके परदादा ने दक्षिण से यहां आकर इसकी शुरुआत की थी। कहते हैं उनके दादा जब काशी पहुंचे तो यहां के पंडितों ने उनकी बकायदा परीक्षा ली थी, तब जाकर उन्हें काशी में रहने का मौका मिला था। यहां बच्चों को आचार्य बनने और कर्मकांड की पढ़ाई भी करवाई जाती है। शहीद राजगुरु यहां के स्टूडेंट रह चुके हैं।

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राजेश्वर शास्त्री के द्वितीय पुत्र गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ वेदशास्त्र के विद्वान हैं। धर्मप्रचार के लिए वे भारत वर्ष में बीच-बीच में भ्रमण करते रहते हैं। काशी में रहने पर अध्यापन भी करते हैं। सांग्वेद विद्यालय स्थित गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा द्वारा दी जाने वाली व्यवस्थाओं (निर्णयों) वे प्रमुख रूप से करते हैं। लोगों की समस्या के निराकरण के लिए ज्योतिष, आयुर्वेद एवं कर्मकांड के विषय में भी वह मार्गदर्शन नि:स्वार्थ भाव से करते हैं। इस कार्य में द्रविड़ वंश का मुख्य योगदान रहा है।

गणेश्वर शास्त्री के अनुसार 22 जनवरी सबसे बढ़िया दिन है। इस दिन किसी भी मुहूर्त में दोष उत्पन्न करने वाले पांच बाण रोग बाण, मृत्यु बाण, राज बाण, चोर बाण और अग्नि बाण का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। ये पांचों बाण अपने नाम के अनुरूप प्रभाव छोड़ते हैं। 22 जनवरी को भी केवल 84 सेकेंड ऐसे हैं जब प्राण प्रतिष्ठा अति उत्तम बताई है। गणेश्वर शास्त्री के अनुसार दोपहर 12:29:08 बजे से 12:30:32 बजे तक का मुहूर्त दिया गया है।