भारत सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को गंभीरता के साथ मजबूत कर रहा: जयशंकर |

भारत सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को गंभीरता के साथ मजबूत कर रहा: जयशंकर

भारत सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को गंभीरता के साथ मजबूत कर रहा: जयशंकर

:   Modified Date:  December 23, 2023 / 08:12 PM IST, Published Date : December 23, 2023/8:12 pm IST

गांधीनगर, 23 दिसंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की गंभीरता के साथ देश अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बना रहा है और चीन सीमा पर सड़कों, पुलों और सुरंगों का निर्माण पिछले दशकों की तुलना में बहुत तेज गति से किया जा रहा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि वर्ष 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारत को सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के प्रति ‘आत्मसंतोष’ और ‘उपेक्षा’ के रवैये के कारण मिले झटके के बावजूद यह देश तब तक सबक सीखने में विफल रहा जब तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सुरक्षा के क्षेत्र के क्षेत्र में काम शुरू नहीं किया।

उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार उसी गंभीरता के साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है जिसकी यह हकदार है।

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने अपनी कूटनीतिक रणनीति में सुरक्षा कारकों को गंभीरता के साथ शामिल किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हथियार हासिल करना और विकसित करना तथा संबंधित क्षमताओं का निर्माण न केवल हमारी रक्षा नीतियों, बल्कि हमारी कूटनीति के मूल में भी रहा है।’’

उन्होंने कहा कि सुरक्षा और युद्ध के लिए लॉजिस्टिक्स (रसद आपूर्ति) अहम है, लेकिन हाल के वर्षों तक यह एक उपेक्षित आयाम बना रहा।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर चीन से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों को लें, तो आंकड़े खुद बताएंगे कि आज पिछले दशकों की प्रतिबद्धता और उपलब्धि की तुलना में सड़क निर्माण दो गुना, पुल और सुरंग निर्माण तीन गुना और सीमा संबंधी बुनियादी ढांचे का बजट चार गुना है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘यह केवल सड़कों, सुरंगों और पुलों की लंबाई और संख्या नहीं है, बल्कि इनका हमारी ‘ऑपरेशनल’ क्षमताओं पर प्रभाव भी पड़ा है। पिछले दशक में हमने लद्दाख और तवांग के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी देखी, अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से जुड़े हर महत्वपूर्ण दर्रे तक पहुंच और दुनिया की सबसे ऊंची परिवहन योग्य सड़क का निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि सुरक्षा के क्षेत्र में ‘आत्मसंतुष्टि’ और ‘उपेक्षा’ देश को महंगी पड़ सकती है, इसे देश ने 1962 में देखा था।

उन्होंने कहा, ‘‘दुख की बात है कि 1962 का सबक स्पष्ट रूप से उन लोगों ने नहीं सीखा, जो उसके बाद आये । यह केवल अब हुआ है कि हम सीमा पर बुनियादी ढांचे के प्रति उसी गंभीरता के साथ काम कर रहे हैं, जिसका यह हकदार है।’’

जयशंकर ने कहा कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) जैसी इकाइयों में सुधार के साथ नयी प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग के परिणाम दिख रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा आकलन के पारंपरिक पैमाने के हिसाब से भी भारत को असाधारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि पिछले दशकों की कमियों को दूर करने के लिए, विशेषकर पिछले दशक की, कड़े प्रयास किए गए हैं और वर्ष 2014 के बाद से विभिन्न क्षेत्र में देश की ताकत में जो समग्र विकास दिखा है उसका सुरक्षा क्षेत्र पर स्पष्ट रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भारतीय कूटनीति की एक सांकेतिक उपलब्धि रही है कि हम अपने पक्ष में कई और अक्सर प्रतिस्पर्धी शक्तियों के साथ संबंध बनाने में सफल रहे हैं।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि आर्थिक और तकनीकी क्षमताएं साथ-साथ चलती हैं और दोनों ही भारत की सुरक्षा के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रों और इतिहास की प्रगति काफी हद तक प्रौद्योगिकी की प्रगति में परिलक्षित होती हैं।

इसके पहले, दीक्षांत समारोह से इतर संवाददाताओं से बातचीत में जयशंकर ने अमेरिका स्थित एक मंदिर की दिवारों पर भारत विरोधी नारे लिखे जाने और उसमें तोड़फोड़ की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के बाहर चरमपंथियों और अलगाववादी ताकतों को जगह नहीं मिलनी चाहिए।

जयशंकर ने घटना के बारे में एक सवाल पर कहा, ‘‘मैंने खबरें देखी हैं। जैसा कि आप जानते हैं, हम इस बारे में चिंतित हैं। भारत के बाहर चरमपंथियों और अलगाववादी ताकतों को जगह नहीं मिलनी चाहिए। जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में हमारे वाणिज्य दूतावास ने (अमेरिकी) सरकार और वहां की पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है और मुझे विश्वास है कि मामले की जांच की जा रही है।’’

भाषा संतोष रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)