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Navratri: नवरात्रि का छठा दिन है आज यानी 28 सितंबर 2025, रविवार। आज षष्ठी तिथि दोपहर 2:27 PM तक रहेगी, उसके बाद सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी जो रातभर चलेगी। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है जिन्हें शादी में आ रही अड़चनों को दूर करने वाली देवी माना जाता है। आइये जानते हैं पूजा की विधी और आज के विशेष मंत्रों के बारे में
आज, 28 सितंबर शारदीय नवरात्रि का छठा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी कात्यायनी को शक्ति, साहस और न्याय की देवी माना जाता है। ये अपने चार भुजाओं में कमल, तलवार, त्रिशूल और अभयमुद्रा धारण करती हैं और सिंह की सवारी करती हैं। मां कात्यायनी को विशेष रूप से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने वाली देवी माना जाता है। कहा जाता है कि कुंवारी कन्याएं अगर इस दिन श्रद्धा से मां कात्यायनी की पूजा करें, तो उन्हें योग्य जीवनसाथी का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, शत्रु पर विजय, मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
देवी की पूजा में लाल या पीले फूल, अक्षत, रोली और घी का दीपक अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” मंत्र का जाप करते हैं और मां की चालीसा या सप्तशती का पाठ भी करते हैं। अब बात करें दिनभर के योगों की, तो आज 4 योग बन रहे हैं – आयुष्मान, सौभाग्य, काण और सिद्धि। आज का दिन आध्यात्मिक साधना, भक्ति और आत्मबल को जागृत करने के लिए बेहद खास है।
आज का मंत्र:
“ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
(इस मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करें)
Navratri: आज का दिन मां कात्यायनी को समर्पित है। कहते हैं कि अगर कोई कन्या शादी में बार-बार रुकावटों से परेशान है, तो इस दिन मां कात्यायनी की चालीसा पढ़ना बहुत ही फलदायी माना गया है। इससे जीवन की परेशानियां कम होती हैं, शत्रुओं पर जीत मिलती है और मनचाही सफलता मिलती है।
जय कात्यायनी माँ, जय महिषासुर मारिणी। सुर नर मुनि आराधित, जय मंगल करिणी॥
जय जय अंबे जय कात्यायनी। जय महिषासुर घातिनी दानी॥
ब्रह्मा, विष्णु, शिव जी ध्यावैं। शक्ति शक्ति सब जगत बनावैं॥
रक्तदंतिका और अन्नपूर्णा। माँ कात्यायनी हैं सम्पूर्णा॥
कात्यायन ऋषि मुनि के आश्रय। कात्यायनी मां सबके बासय॥
भय, संकट हरिणी तुही माता। भक्तों के दुःख हरती आपा॥
जो कोई तुझको शरण में आवे। मनवांछित फल वह नर पावे॥
ध्यान धार जो कोई नारी। कात्यायनी पूर्ण सुखकारी॥
कुमारी पूजा जो नित ध्यावे। अविवाहित जीवन न बितावे॥
हर युग में माँ तू सहाय। जो भी भक्त करें मन लाय॥
कात्यायनी माँ तेरी महिमा। सतयुग त्रेता हो या द्वापर॥
सिंह सवारी मां भवानी। जय जय जय अंबे भवानी॥
चालीसा का पाठ सच्चे मन से करें ये सिर्फ कन्याओं के लिए नहीं, बल्कि हर भक्त के लिए शुभफलदायक होगा।
ध्यान रखें: इस पूजा विधि का आधार धर्मग्रंथ, पुरानी परंपराएं और मान्य ज्योतिषी हैं। ये एक सरल गाइड है अपने परिवार की परंपरा और पंडित जी की सलाह भी ज़रूर मानें।