These Zodiac signs Earn Money by Shukla and Brahma Yoga on Navratri

110 सालों के बाद नवरात्रि में बन रहा ये विशेष संयोग, मां दुर्गा की ऐसे पूजा करने से होगी धनवर्षा, पद-प्रतिष्ठा में भी होगी बढ़ोतरी

110 सालों के बाद नवरात्रि में बन रहा ये विशेष संयोग, These Zodiac signs Earn Money by Shukla and Brahma Yoga on Navratri

Edited By :   Modified Date:  March 14, 2023 / 08:28 PM IST, Published Date : March 14, 2023/8:28 pm IST

These Zodiac signs Earn Money शक्ति की पूजा का महापर्व चैत्र नवरात्रि को आने में अब गिनती के ही दिन बचे है। इस साल 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ हो रहा है। शक्ति अराधना के इस पर्व का समापन 30 मार्च 2023 को होगा। हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में शुरू में मां दुर्गा के 9 प्रमुख स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार नवरात्र में चार योग का विशेष संयोग बन रहा है। पूरे 9 दिनों के नवरात्र के साथ माता का आगमन नौका और प्रस्थान डोली पर होगा जो बहुत शुभकारी बताया जा रहा है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त, घटस्थापना समय और शुभ संयोग..

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These Zodiac signs Earn Money हिंदू पंचांग में बताया गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 21 मार्च 2023 सुबह 10:02 पर होगा और इसका समापन 22 मार्च 2023 रात्रि 8:20 पर हो जाएगा। ऐसे में घटस्थापना 22 मार्च 2023 को किया जाएगा। इस विशेष दिन पर घटस्थापना मुहूर्त सुबह 6:29 से सुबह 7:39 तक है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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बन रहा ये शुभ संयोग

पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। ब्रह्म योग 22 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट से 23 मार्च सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा और शुक्ल योग 21 मार्च को रात्रि 12 बजकर 42 मिनट से अगले दिन सुबह 9 बजकर18 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन शुभ योग में पूजा-पाठ करने से साधक को इच्छापूर्ति का आशीर्वाद मिलता है और सभी दुख दूर हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार घटस्थापना के लिए साधक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए और कलश की स्थापना ईशान कोण में ही करनी चाहिए।