Lohri 2024: शादी के बाद है पहली लोहड़ी तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां, बस इन बातों का रखें खास ध्यान
Lohri 2024: घर में लोहड़ी का त्योहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। शादी के बाद हैं पहली लोहड़ी तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां
Lohri 2024
Lohri 2024: नई दिल्ली। देशभर में लोहड़ी के त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग सभी के साथ खुशियां बांटकर त्योहार मनाते हैं। खासकर जिनके घर पहली बहू आई हो। या यूं कहे कि जिनके घरों में शादी होती है। बेटी विदा होती है या फिर घर में नई बहू आए और बच्चे का जन्म हो तो उस घर में लोहड़ी का त्योहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
अगर आपकी इस साल ससुराल में पहली लोहड़ी है और आप लोहड़ी की तैयारियों को लेकर थोड़ी कंफ्यूज हैं तो आप की टेंशन दूर करते हुए आपको बताते हैं कि ससुराल में पहली लोहड़ी पर आपको किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए, जिससे आपके परिवार में खुशियों का माहौल बना रहेगा।
परिक्रमा के दौरान ना पहनें जूते-चप्पल
लोहड़ी के दिन नवविवाहित जोड़ा आग के फेरे लेते हुए अपने सुखी जीवन की कामना करता है। ऐसे में आप जब अपने पार्टनर के साथ आग के फेरे लें तो अपने जूते-चप्पल पहनकर परिक्रमा करने से बचें। किसी को टोकने का मौका न दें। ऐसा माना जाता है कि चप्पल-जूते पहनकर परिक्रमा करने से पूजा फलित नहीं होती है।
दुल्हन की तरह करें श्रृंगार
पहली लोहड़ी पर ससुराल में हर किसी की नजर नई दुल्हन पर लगी रहती है। ऐसे में आप अपनी पहली लोहड़ी पर सोलह श्रृंगार जरूर करें। मेकअप से लेकर कपड़े तक ऐसे पसंद करें, जो आपके लुक को और ज्यादा एक्ट्रेक्टिव बनाने में मदद कर सके।
झूठा खाने को लोहड़ी की आग में न डालें
लोहड़ी के दिन आग के फेरे लेते समय उसमें तिल,पॉपकॉर्न,गन्ना और रेवड़ी डालने का रिवाज बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस अग्नि में तिल,रेवड़ी और पॉपकॉर्न डालने से लोहड़ी माता प्रसन्न होती हैं। लेकिन ऐसा करते समय कभी भी आग में अपना झूठा किया हुआ भोजन न डालें। इसके अलावा इस दिन नॉनवेज खाने और शराब का सेवन करने से भी बचें।
भगवान कृष्ण का लोहड़ी से संबंध
Lohri 2024: सनातन धर्म के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण और लोहड़ी को लेकर यह पौराणिक कथा प्रचलित हैं। एक बार मकर संक्रांति की तैयारी में सभी गोकुलवासी जुटे थे। वहीं कंस भी भगवान कृष्ण को मारने लिए समय-समय पर चालें चलता था। इसी बीच उसने कृष्ण को मरवाने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को भेजा। भला भगवान के प्राण कौन ले सकता है। भगवान को मारने आई लोहिता राक्षसी को ही अपनी जान गंवानी पड़ी। तभी से मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है।

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