Bhai Dooj 2025: कल मनाया जायेगा भाई दूज, दोपहर का ये मुहूर्त है तिलक करने के लिए सबसे शुभ… यहां जानें सही समय और पूजन विधि
इस साल भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा क्योंकि कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि इस दिन है। जानिये शुभ मुहूर्त और पूजन विधि...
Bhai Dooj 2025 / Image Source: Instagram / imshivbhaktt
- भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
- भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:05 से 2:54 बजे तक है।
- 12:05-1:30 बजे शुभ चौघड़िया और 1:30-2:54 बजे अमृत चौघड़िया रहेगा।
Bhai Dooj 2025: इस साल भाई दूज को लेकर थोड़ी उलझन बनी हुई है। आमतौर पर दिवाली के दूसरे दिन, यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। लेकिन इस बार तिथियों के बदलाव की वजह से भाई बहन कन्फ्यूज हो रहे हैं कि भाई दूज आखिर कब मनाना है। अगर आप भी इसी सवाल में उलझे हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत मददगार होगी। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्यार और रिश्तों को समर्पित होता है। ये हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। आमतौर पर दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है और फिर उसके बाद भाई दूज आता है। लेकिन इस बार कुछ अलग ही तारीखों के मेल के कारण से बदलाव होने की वजह से भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद, यानी कल 23 अक्टूबर को पड़ रहा है।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल भाई दूज की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर 2025 की रात 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर 2025 की रात 10:46 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार भाई दूज 23 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
इस दिन भाई को तिलक लगाने के लिए दोपहर का समय सबसे शुभ माना गया है।
- तिलक का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 बजे से 12:28 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 बजे से 2:43 बजे तक
भाई दूज की मान्यताएं
Bhai Dooj 2025: ऐसा कहा जाता है कि भाई दूज की शुरुआत भगवान यमराज ने की थी। यमराज ने वरदान दिया है कि जो भाई कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को बहन के हाथों खाना खाएगा वो अकाल मृत्यु के भय से मुक्त रहेगा। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर आते हैं इसलिए यमुना नदी के तट पर भाई दूज का पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।
भाई दूज का पौराणिक कथा और महत्व
इस पर्व के पीछे एक प्राचीन कथा है। मान्यता के मुताबिक, यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने कार्तिक शुक्ल द्वितीया को आए थे। यमुना ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया, तिलक लगाया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने वचन दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। तभी से यह पर्व यम द्वितीया के रूप में भी जाना जाता है। ये भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा के रिश्ते को और ज्यादा मजबूत बनाता है।
भाई दूज की पूजा और तिलक विधि
- शुभ मुहूर्त में चावल के आटे से चौक बनाएं।
- भाई को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बिठाएं।
- भाई के माथे पर रोली या चंदन से तिलक लगाएं।
- अक्षत (चावल) चढ़ाएं और दाहिने हाथ में कलावा बांधें।
- घी का दीपक जलाकर आरती करें और मिठाई खिलाएं।
- बहन भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करें।
- अंत में भाई बहन को उपहार दे और आशीर्वाद लेकर पैर छूएं।
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