Bhaum Pradosh Vrat 2025: 22 या 23 जुलाई कब रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत ? यहां देखें क्या है इसकी सही तारीख

Bhaum Pradosh Vrat 2025: 22 या 23 जुलाई कब रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत ? यहां देखें क्या है इसकी सही तारीख

Bhaum Pradosh Vrat 2025: 22 या 23 जुलाई कब रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत ? यहां देखें क्या है इसकी सही तारीख

Bhaum Pradosh Vrat 2025/ Image Credit: IBC24 File

Modified Date: July 7, 2025 / 01:47 pm IST
Published Date: July 7, 2025 1:46 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 22 जुलाई को रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत।
  • इस दिन भगवान शिव का रूद्राभिषेक किया जाएगा।

नई दिल्ली। Bhaum Pradosh Vrat 2025: सावन का महीना देवों के देव महादेव को प्रिय है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। एक महीने तक भगवान शिव का रूद्राभिषेक किया जाता है। इस बार सावन की शुरूआत 11 जुलाई से हो रही है, जिसका समापना 9 अगस्त को होगा। इस बीच सावन का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने के चलते यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। तो चलिए इस बार यह व्रत कब रखा जाएगा।

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कब है भौम प्रदोष व्रत

सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 जुलाई को सावन माह का पहला प्रदोष है। जो सुबह 07 बजकर 04 मिनट में प्रारंभ होगा और अगले दिन 23 जुलाई त्रयोदशी तिथि सुबह 04 बजकर 38 मिनट पर खत्म होगा।

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पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद महादेव का स्मरण कर व्रत का संकल्प ले। प्रदोष व्रत की पूजा के लिए दिनभर व्रत रखा जाता है और शाम के समय शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक किया जाता है और शिवलिंग के समक्ष धतूरा, भांग, सफेद फूल और फल आदि अर्पिक किए जाते हैं। पूजा करने के बाद भगवान भोलनाथ को फल या मिठाई का भोग लगाएं और प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें और कथा पूरी होने के बाद आरती करके पूजा कर समापन करें।

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भौम प्रदोष व्रत का महत्व

भौम प्रदोष व्रत के लाभ से घर में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही अगर कुंडली में भौम दोष हो तो इस दिन व्रत रखने से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। साथ ही हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।

Bhaum Pradosh Vrat 2025: करें इस मंत्र का जाप

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।


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