#SarkarOnIBC24: निशिकांत का बयान.. नया घमासान, सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और फैसलों को लेकर आखिर क्यों छिड़ी बहस
#SarkarOnIBC24: निशिकांत का बयान.. नया घमासान, सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और फैसलों को लेकर आखिर क्यों छिड़ी बहस
#SarkarOnIBC24/ Image Credit: IBC24
- सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और फैसलों को लेकर बहस छिड़ी ।
- निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर बेहद तल्ख और विवादित बयान दिया है।
- निशिकांत दुबे के बयान को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के रूप में भी देखा जा रहा है।
#SarkarOnIBC24: छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के बाद अब रुख करते हैं जरा राष्ट्रीय खबरों का देश में इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और फैसलों को लेकर बहस छिड़ी है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इसे हवा दी थी लेकिन अब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे भी इसमें कूद पड़े हैं। निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर बेहद तल्ख और विवादित बयान दिया है। जिस पर देश में सियासी घमासान छिड़ गया है।
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर ताजा बयान ने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। निशिकांत दुबे ने एक दिन पहले ही राष्ट्रपति और राज्यपाल के बिलों की समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निशाना साधा था। दुबे ने X पर लिखा था कि, अब निशिकांत दुबे ने देश में हो रहे सिविल वॉर के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को जिम्मेदार ठहराया है।
निशिकांत दुबे विपक्ष के निशाने पर आ गए है। कांग्रेस, सपा AIMIM समेत कई विपक्षी नेताओं ने निशिकांत दुबे के बयान को न्यायपालिका की स्वायत्तता पर सीधा हमला करार दिया। ‘भाजपा ऐसे बयानों से न तो कोई इत्तेफाक रखती है और न ही कभी भी ऐसे बयानों का समर्थन करती है। भाजपा इन बयान को सिरे से खारिज करती है। पार्टी ने सदैव ही न्यायपालिका का सम्मान किया है, उनके आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है।
#SarkarOnIBC24: निशिकांत दुबे के बयान को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के रूप में भी देखा जा रहा है। जिससे उनकी मुश्किले बढ़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए एटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर निशाना साधने की शुरूआत 17 अप्रैल को तब हुई थी। जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिली शक्तियों पर सवाल उठाए थे। इसे न्यूक्लियर मिसाइल जैसा बताया था। विधानसभा से पास बिलों को लेकर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकता। बहरहाल जगदीप धनखड़ और निशिकांत दुबे के बयानों ने सियासी गलियारों ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया में भी बहस छेड़ दी है। एक पक्ष निशिकांत दुबे और जगदीप धनखड़ के समर्थन में है को दूसरी सुप्रीम कोर्ट के पक्ष में खड़ा है।

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