Rahul Gandhi leaves for Rae Bareli, Priyanka Gandhi will contest from Wayanad

#SarkarOnIBC24: रायबरेली के हुए राहुल, वायनाड से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी, जानें आखिर कांग्रेस उन्हें क्यों भेजना चाहती है संसद?

रायबरेली के हुए राहुल, वायनाड से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी, Rahul Gandhi leaves for Rae Bareli, Priyanka Gandhi will contest from Wayanad

Edited By :   Modified Date:  June 18, 2024 / 12:41 AM IST, Published Date : June 17, 2024/11:44 pm IST

रायपुरः राहुल गांधी के संसदीय सीट के लिए लंबे समय से चले आ रहे सस्पेंस का आज अंत हो गया। राहुल गांधी ने ऐलान कर दिया कि वो रायबरेली से सांसद बने रहेंगे और वायनाड सीट से इस्तीफा दे रहे। साथ ही ये भी साफ हो गया कि अब केरल की वायनाड़ सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। सोमवार शाम को राहुल-प्रियंका के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मीडिया के सामने आकर इस फैसले पर मुहर लगा दी।

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राहुल गांधी की सीट पर फैसले और प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी का ऐलान कर कांग्रेस की ओर से ये संदेश देने की कोशिश गई कि चौबीस के जनादेश के बाद देश की सबसे बड़ी पार्टी अपना सबसे बड़ा चेहरा बदलने को तैयार है। बता दें कि मां के लिए रायबरेली और भाई के लिए अमेठी सीट पर चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभालती चली आ रहीं प्रियंका देखते-देखते तिरेपन साल की हो गईं, लेकिन अब तक ना मां ने और ना ही भाई ने, कभी इस तरीके की घोषणा की थी। हालांकि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक की ओर से बार-बार ये मांग की जाती रही। अभी-अभी संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में तो वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ख़िलाफ़ प्रियंका को उतारने की अपील ममता बनर्जी जैसी अनुभवी नेता भी कर चुकी थीं और नतीजों के बाद खुद राहुल गांधी ने भी कहा था कि अगर प्रियंका बनारस से लड़ती तो राजनीतिक भूचाल ला देतीं।

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प्रियंका के अब वायनाड से उपचुनाव लड़ने के साथ ही एक बात जो तय नज़र आ रही है, वो कांग्रेस में राहुल और प्रियंका के बीच सीधी तुलना है। प्रियंका संसदीय राजनीति में भले ही राहुल के मुक़ाबले अनुभव नहीं रखतीं, लेकिन राजनीतिक समझ के मामले में कहीं भी उन्नीस नहीं पड़तीं। राहुल अपने संबोधनों के बीच अक्सर भटक जाते हैं, उलझ जाते हैं और निशाने पर आते हैं, लेकिन इस मामले में सधी हुई राजनेता की तरह नज़र आती हैं। राहुल गांधी अपने परिवार के बाकी सदस्यों मसलन इंदिरा गांधी, राजीव गांधी की तरह मास अपील के मामले में कमज़ोर नज़र आते हैं, जबकि प्रियंका गांधी की मास अपील राहुल से ज़्यादा है। इतना ही नहीं कांग्रेस में जब संकट का दौर आता है तो राहुल से ज्यादा प्रियंका की सक्रियता और संकट से उबरने की कुशलता सामने आती रही है। ऐसे में प्रियंका की वायनाड से एंट्री कांग्रेस में नया जोश ला सकती है।

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प्रियंका के लिए नहीं है कोई खतरा?

वायनाड सीट का समीकरण ऐसा है, जिससे प्रियंका के लोकसभा में पहुंचने को लेकर तो कोई ख़तरा नज़र नहीं आ रहा, लेकिन कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा खतरा ये ज़रूर हो सकता है कि पार्टी राहुल और प्रियंका के चेहरों के बीच ही कहीं बंट न जाए क्योंकि कहते हैं कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहा करतीं।

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