Nyay Yojana : दाऊजी के राज म गरीब घलो बनिस धनवान, अब तो नीति आयोग घलो कथे- कका के सरकार…आगे बढ़त हे लइका अउ सियान

Chhattisgarh government's justice schemes: भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार की न्याय योजनाएं गरीबी को दूर करने में बेहद असरकारक साबित हुई हैं।

Nyay Yojana : दाऊजी के राज म गरीब घलो बनिस धनवान, अब तो नीति आयोग घलो कथे- कका के सरकार…आगे बढ़त हे लइका अउ सियान
Modified Date: August 31, 2023 / 11:45 pm IST
Published Date: August 31, 2023 11:43 pm IST

Nyay schemes of Chhattisgarh : रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की न्याय योजना का ही यह कमाल है कि बीते पांच सालों में राज्य के 40 लाख लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आ चुके हैं। भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार की न्याय योजनाएं गरीबी को दूर करने में बेहद असरकारक साबित हुई हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते पौने पांच सालों में अपनी न्याय योजनाओं जैसे- राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, बेरोजगारी भत्ता, राजीव मितान क्लब, के माध्यम से राज्य के ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों, महिलाओं, युवाओं, वनोपज संग्राहकों सहित सभी वर्ग के हितग्राहियों को पौने दो लाख करोड़ रुपए की सीधी मदद दी है, जिसके चलते लोगों के जीवन में बदलाव आया है और वह आर्थिक रूप से सपन्न भी हुए हैं।

88,793 रुपए से बढ़कर 1,33,898 रुपए हुई प्रति व्यक्ति

भूपेश सरकार की न्याय योजनाओं के चलते बीते पौने पांच सालों में प्रति व्यक्ति आए 88,793 रुपए से बढ़कर 1,33,898 रुपए हो गई है। इस अवधि में छत्तीसगढ़ का जीएसडीपी 3,27,106 करोड़ रुपए से बढ़कर 5,09,043 करोड़ रुपए हो गयी है। मार्च 2020 से निरंतर दो वर्ष तक कोविड-19 आपदा के कारण आर्थिक गतिविधियां मद होने के बावजूद राज्य शासन की नीतियों और न्याय योजनाओं के चलते अर्थव्यवस्था के आकार में 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 में कृषि, औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र में छत्तीसगढ़ राज्य की विकास दर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा रही है।

किसानों को मिला उपज का वाजिब मूल्य

छत्तीसगढ़ प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। राज्य के लगभग 74 प्रतिशत लोगों का जीवनयापन का आधार खेती-किसानी पर निर्भर है। भूपेश सरकार ने बीते पौने पांच सालों में खेती-किसानी को समृद्ध और किसानों की खुशहाली के लिए जो फैसले लिए हैं और योजनाएं संचालित की है। उससे राज्य में खेती-किसानी के प्रति लोगों का उत्साह बढ़ा है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक मिसाल कायम की है। छत्तीसगढ़ देश का एक मात्र राज्य है, जहां किसानों को धान का सर्वाधिक मूल्य मिल रहा है। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी करने के साथ ही सरकार खरीफ फसलों के उत्पादक किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रति एकड़ के मान से 9000 रुपए की इनपुट सब्सिडी दे रही है। वर्ष 2019-20 से लेकर अब तक इस योजना के तहत किसानों को लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की सीधी मदद उनके बैंक खातों में भेजी गई है।

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गोधन न्याय योजना ने दी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति

भूपेश बघेल सरकार की सुराजी गांव योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी विकास कार्यक्रम और गोधन न्याय योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के साथ ही लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में कारगर रही है। नरवा विकास कार्यक्रम के चलते राज्य के लगभग 14 हजार बरसाती नालों के ट्रीटमेंट से जल संरक्षण में मदद मिली है, जिसके चलते भू-जल स्तर सुधरा है। सिंचाई की सुविधा और दोहरी फसलों का रकबा बढ़ा है। गरवा कार्यक्रम के माध्यम से पशुधन का संरक्षण-संवर्धन हुआ है। पशुपालन से लोगों की आय बढ़ी है। घुरवा और बाड़ी विकास कार्यक्रम ने राज्य में जैविक खेती और पोषण स्तर को बेहतर बनाने में मदद मिली है।

रोजगार और आत्मनिर्भरता के बहुआयामी विकल्प तैयार

भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना से रोजगार और आत्मनिर्भरता के बहुआयामी विकल्प सृजित हुए है। इस योजना के तहत सरकार द्वारा दो रुपए में किलो में गोबर और चार रुपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी ने ग्रामीण पशुपालकों को अतिरिक्त आय का जरिया दिया है। गोबर से वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य सामग्रियों का निर्माण, गौमूत्र से जैविक कीटनाशक, ब्रम्हास्त्र और जीवामृत का उत्पादन, गोबर से प्राकृतिक पेंट का निर्माण और विक्रय से लोगों की आय में वृद्धि हुई है। गौठानों से जुड़ी 12 हजार से अधिक स्व-सहायता की दो लाख महिलाएं विभिन्न आयमूलक अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हुई है।

बेहतर और जन्नोमुख बनी स्वास्थ्य सेवाएं

भूपेश बघेल सरकार द्वारा राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर और जन्नोमुख बनाने के उद्देश्य से संचालित मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना, दाई-दीदी क्लिनिक योजना, डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य योजना, श्री धनवंतरी मेडिकल स्टोर योजना से भी लोगों को काफी राहत मिली है। छत्तीसगढ़ सरकार की बिजली बिल हाफ योजना और किसानों के सिंचाई पंपों को निःशुल्क एवं रियायती दर पर बिजली उपलब्ध कराये जाने की योजना से बिजली बिल में लगभग 15 हजार करोड़ की मदद दी गई है।

लघुवनोपजों की समर्थन मूल्य पर हुई खरीदी

वनांचल में वनवासियों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण की दर को 2500 रुपए से बढ़ाकर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा किया जाना तथा 67 प्रकार के लघुवनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और वैल्यूएडिशन के चलते संग्राहकों की आय दोगुने से ज्यादा करने में कामयाबी मिली है। राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के माध्यम से राज्य के पौने छह लाख परिवारों को प्रतिवर्ष 7000 रुपए की मदद, राजीव मितान क्लबों के माध्यम से गांवों में शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में लोगों को जागरूक कर उसका लाभ दिलाने की पहल के सकारात्मक परिणाम रहे हैं। इससे भी लोगों को गरीबी से बाहर लाने में मदद मिली है।

गरीबी से बाहर निकले राज्य के 40 लाख लोग

नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार कबीरधाम, सरगुजा और दंतेवाड़ा में 23 से 25 प्रतिशत लोग गरीबी से बाहर आ गए हैं। रायपुर, धमतरी और बालोद जिले में गरीबी का अनुपात अब 10 प्रतिशत से कम रह गया है। यह छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी नीतियों और न्याय योजनाओं का प्रतिफल है। राज्य के 40 लाख लोगों को गरीबी से बाहर निकालना एक बड़ी उपलब्धि है। बीजापुर जिले में गरीबों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। बीजापुर में खेती-किसानी करने वाले लोग बहुत कम हैं। सरकार की किसान हितैषी नीति के चलते अब बीजापुर जिले में भी खेती-किसानी की ओर लोगों का रुझान बढ़ रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और बीजापुर जिले में भी गरीबी का प्रतिशत तेजी से कम होगा।

किसान हितैषी नीतियों से बढ़ी कृषकों की आय

छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते राज्य में समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले कृषकों की संख्या 12 लाख से बढ़कर आज 24 लाख से ज्यादा हो गई है। धान उर्पाजन 55 लाख टन से बढ़कर 107 लाख टन से ज्यादा हो गया है। बीते पांच सालों में छत्तीसगढ़ में धान बेचने वाले किसानों और धान उर्पाजन की मात्रा दोगुनी हो गई है। धान का रकबा 24 लाख 46 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 31 लाख 17 हजार हेक्टेयर हो गया है। प्राथमिक कृषि साख समितियां 1,333 थीं, आज बढ़कर 2,058 हो गई। छत्तीसगढ़ में मछली पालन, लाख पालन और रेशम पालन और मधुमक्खी पालन को भी कृषि का दर्जा दिया गया है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन और कोदो-कुटकी, रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इसके उत्पादक किसानों को प्रति एकड़ 9000 रुपए की इनपुट सब्सिडी के चलते राज्य के वनांचल क्षेत्रों में मिलेट उत्पादक कृषकों की आय बढ़ी है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com