नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने भारतीय फुटबॉल में चल रहे संकट को सुलझाने के लिए बुधवार को इसके कई हितधारकों के साथ बैठकें कीं तथा मौजूदा नीतिगत ठहराव और वित्तीय संकट से निकलने का रास्ता निकालने का आश्वासन दिया।
लेकिन इससे पहले उन्होंने इस स्थिति तक पहुंचने के कारणों पर कड़े सवाल भी उठाए।
बैठकों में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के आलोचना में घिरे अध्यक्ष कल्याण चौबे, इस समय रूकी हुई इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) क्लबों और आई लीग क्लबों के प्रतिनिधि, संभावित व्यावसायिक साझेदार, एआईएफएफ के आठ दिसंबर तक वाणिज्यिक साझेदार फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) और फैनकोड जैसे कुछ ओटीटी मंच शामिल थे।
मंत्रालय के एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘मंत्री ने सभी हितधारकों की बातें सुनीं और जानकारी ली। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब यह गतिरोध ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा और कुछ ही दिनों में इस संकट को समाप्त करने की योजना सामने आएगी। आज की बैठक में सभी पक्षों की राय जानी गई। ’’
एक अधिकारी इस बैठक में मौजूद था। उन्होंने बताया कि खेल मंत्री ने शुरुआत ही इस सवाल से की कि भारतीय फुटबॉल ऐसी ‘गड़बड़’ स्थिति में कैसे पहुंच गया। यह एक ऐसा सवाल था जिसका किसी के पास स्पष्ट जवाब नहीं था।
एक अधिकारी के अनुसार, ‘‘मंत्री ने पूछा, ‘ऐसी स्थिति क्यों आई कि भारतीय फुटबॉल का कोई भी नया व्यावसायिक साझेदार बनने को तैयार नहीं?’ इस पर दिल्ली एफसी के मालिक रंजीत बजाज ने कहा कि इसकी बड़ी वजह जमीनी स्तर पर पर्याप्त काम नहीं होना है। ’’
एक अन्य सूत्र ने पुष्टि की कि मांडविया ने वाकई एआईएफएफ अधिकारियों और क्लबों से यह पूछकर कड़ाई दिखाई कि स्थिति को कैसे बेकाबू होने दिया गया।
एक फुटबॉल अधिकारी ने कहा, ‘‘ये मैराथन बैठक थी। कल्याण चौबे सहित सभी हितधारकों के प्रतिनिधि भी मंत्री से मिले। केपीएमजी (जिसे एआईएफएफ ने बोली दस्तावेज तैयार करने के लिए नियुक्त किया है) भी मौजूद था। ’’
भाषा नमिता सुधीर
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