एआईएफएफ का प्रस्ताव: आईएसएल का स्वामित्व और संचालन अगले 20 सत्र तक उसके पास रहे
एआईएफएफ का प्रस्ताव: आईएसएल का स्वामित्व और संचालन अगले 20 सत्र तक उसके पास रहे
… फिलेम दीपक सिंह …
नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने शुक्रवार को इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के लिए एक नयी संरचना का प्रस्ताव रखा जिसके तहत लीग अगले 20 सत्र तक इस राष्ट्रीय संस्था के स्वामित्व और संचालन में रहेगी। यह उसके नए संविधान के अनुसार होगी। आईएसएल क्लबों के साथ बैठक के बाद एआईएफएफ द्वारा तैयार किए गए नए प्रस्ताव के अनुसार आगामी सत्र से लीग में ‘प्रमोशन’ और ‘रेलीगेशन’ की प्रणाली लागू होगी। प्रत्येक सत्र की गणना एक जून से अगले वर्ष के 31 मई तक की जाएगी। एआईएफएफ के एक सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘‘हमने क्लबों को प्रस्ताव भेज दिया है, हमें अपनी योजना को अंतिम रूप देने से पहले अगले कुछ दिनों में उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार करना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्लबों को प्रतिक्रिया देने दें, हम उनकी बात सुनने के बाद समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।’’ उम्मीद है कि एआईएफएफ और क्लबों के बीच दो और दौर की बैठक (रविवार और सोमवार) को होगी। सूत्रों के मुताबिक अगर सब कुछ ठीक रहा तो आईएसएल सत्र फरवरी के पहले सप्ताह में शुरू हो सकता है। इस प्रस्ताव के अनुसार आईएसएल के लिए हर साल एक पूर्व निर्धारित ‘केंद्रीय परिचालन बजट’ होगा, जो लीग में अपने राजस्व हिस्से के अनुपात में सभी ‘राजस्व हिस्सेदारों’ के वार्षिक योगदान से आएगा। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘ इसे ‘लीग सदस्यता योगदान’ के रूप में जाना जाएगा। लीग के संचालन और क्लबों द्वारा अपने लागू लाइसेंसिंग मानदंडों का पालन करने के लिए आवश्यक सभी परिचालन व्यय, साथ ही पुरस्कार राशि वितरण, सीमित होंगे और इसी बजट से वहन किए जाएंगे।’’ प्रस्ताव के अनुसार प्रत्येक क्लब सत्र की शुरुआत में एआईएफएफ को एक करोड़ रुपये प्रति वर्ष का ‘मानक सहभागिता शुल्क’ अदा करेगा। यह हालांकि ‘केंद्रीय परिचालन व्यय’ का हिस्सा नहीं होगा। परिचालन बजट से होने वाला कोई भी लाभ या बचत सभी राजस्व शेयरधारकों के बीच उनके संबंधित राजस्व हिस्से के अनुपात में समान रूप से वितरित किया जाएगा। इससे पहले 20 दिसंबर को आईएसएल के 10 क्लबों द्वारा देश की शीर्ष स्तरीय प्रतियोगिता के ‘स्थायी’ परिचालन और वाणिज्यिक स्वामित्व के प्रस्ताव को एआईएफएफ की आम सभा की मंजूरी नहीं मिली। एआईएफएफ मामले को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया। एआईएफएफ समिति को 22 से 29 दिसंबर तक पांच क्लबों ( चेन्नइयिन एफसी, मुंबई सिटी एफसी, दिल्ली स्पोर्टिंग क्लब, नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी और मोहन बागान सुपरजायंट) के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने का कार्य सौंपा गया था। एआईएफएफ के प्रस्ताव के अनुसार आईएसएल के पहले सत्र का कुल व्यय 70 करोड़ रुपये होगा, जिसमें एआईएफएफ का राजस्व हिस्सा 10 प्रतिशत (यानी सात करोड़ रुपये) होगा जबकि 50 प्रतिशत (35 करोड़ रुपये) क्लबों से आएगा। आईएसएल में वर्तमान में 14 क्लब हैं। इसमें दिलचस्प बात यह है कि संभावित वाणिज्यिक साझेदार के लिए 30 प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी आरक्षित की गई है। एआईएफएफ को अभी तक कोई वाणिज्यिक साझेदार नहीं मिला है क्योंकि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में निविदा जारी किए जाने के बाद भी कोई बोली प्राप्त नहीं हुई है। एआईएफएफ ने हालांकि प्रस्ताव में संभावित वाणिज्यिक साझेदार के लिए 30 प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी का प्रस्ताव रखा है। यह पता चला है कि इस सत्र में मैचों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में कम हो सकती है, इसलिए आईएसएल को प्रस्तावित 70 करोड़ रुपये से कम के ‘केंद्रीय परिचालन बजट’ के साथ आयोजित हो सकता है। भाषा आनन्द नमितानमिता

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