बैडमिंटन स्टार ज्वाला गुट्टा को कहा जा रहा हाफ कोरोना, खुद से बताया- झेलना पड़ रहा बहुत कुछ | Badminton star Jwala Gutta is being called half corona Told myself a lot of things

बैडमिंटन स्टार ज्वाला गुट्टा को कहा जा रहा हाफ कोरोना, खुद से बताया- झेलना पड़ रहा बहुत कुछ

बैडमिंटन स्टार ज्वाला गुट्टा को कहा जा रहा हाफ कोरोना, खुद से बताया- झेलना पड़ रहा बहुत कुछ

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : April 6, 2020/9:36 am IST

नई दिल्ली। महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में हर वर्ग का सहयोग मिल रहा है। भारतीय खिलाड़ी भी अपनी तरफ से हर योगदान दे रहे हैं। वहीं इस महामारी में महिला डबल्स में भारत की दिग्गज बैडमिंटन स्टार ज्वाला गुट्टा ने अपनी भावनाएं प्रेषित की हैं। चीन से फैले स कोरोना वायरस ने गुट्टा को उस दर्द की याद दिला दी,जिसका वो जब-तब सामना करती रहती हैं। दरअसल गुट्टा को सोशल मीडिया पर बेहूदें कमेंट किए जाते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के हवाले से छपी खबर के मुताबिक ज्वाला गुट्टा ने बताया है कि किसी मुद्दे पर सहमति न होने के कारण लोग उन्हें चीन का माल, हाफ चीनी और चिंकी जैसी नस्लीय टिप्पणियां करते हैं।

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ज्वाला गुट्टा अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि ने कहा कि इन कमेंट में अब हाफ कोरोना शामिल हो गया है। ज्वाला ने बताया कि वे जानती हैं कि जो लोग उन्हें ट्रोल करते हैं, वही व्यक्तिगत रूप से मिलने पर मेरे साथ सेल्फी खिंचवाने की मांग करते हैं। गुट्टा ने कहा कि चीनी मां की बेटी के रूप में बड़ा होना आसान नहीं है, एक भारतीय के तौर पर किसी को कोरोना और चाइनीज वायरस कहते हुए हम ये भूल जाते हैं कि हमारे यहां मलेरिया के भी बड़ी संख्या में मामले होते हैं, और ट्यूबरक्लोसिस से हर साल दो लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा देते हैं। जरा सोचिए कि अगर विदेश में कोई भारतीय सड़क पर घूम रहा हो और वहां के लोग उसे मलेरिया या टीबी कहकर बुलाएं तो कैसा महसूस होगा।

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भारतीय बैडमिंटन सनसनी ज्वाला गुट्टा ने आगे कहा कि मेरी मां ने कभी नई संस्कृति में ढलने में आई परेशानियों को लेकर शिकायत नहीं की। हालांकि ये बिल्कुल भी आसान नहीं था, गुट्टा ने बताया कि जब वे बड़ी हो रही थी तो उन्होंने सोचा कि ये सिर्फ इसलिए है क्योंकि मैं थोड़ी अलग दिखती थी और लंबी थी। मेरा रंग भी साफ था। मगर मैंने कभी इस बात को नहीं समझा कि इसमें नस्लीय बिंदु भी शामिल है। मैं उन बच्चों को यही बात समझाने की कोशिश करती थी कि मेरा चेहरा थोड़ा बड़ा है, इसलिए मेरी आंखें छोटी लगती है। मगर जब मैंने बीसवें साल में प्रवेश किया, तब समझ आया कि इनमें से कुछ भी स्वीकार्य नहीं है। मैंने देखा कि नॉर्थईस्ट के लोगों को भी इसे लेकर हिंसा का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि बड़े शहरों में भी।

टेनिस स्टार ने आगे बताया कि मेरे परदादा भारत आए थे और उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर के साथ अध्ययन किया था। यहां तक कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें शांतिदूत नाम दिया था। वह सिंगापुर-चाइनीज न्यूजपेपर में प्रमुख संपादक थे और महात्मा गांधी की आटोवायोग्राफी का अनुवाद करना चाहते थे। उसी दौरान मेरी मां उनकी मदद के लिए भारत आईं थीं।

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ज्वाला गुट्टा ने बताया कि वे साल 2002 में चीन के ग्वांगझू गई थी, वहां उन्होंने देखा कि किस तरह चीन ओलिंपिक पदक तालिका में शीर्ष पर रहता है। गुट्टा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि चीनी खिलाड़ी ढाई घंटे का लंच ब्रेक लेते हैं और वहां सड़कों पर भी खेल की टेबल लगी रहती हैं। वहां सुनिश्चित किया जाता है कि लोग अधिक से अधिक स्पोर्टस एक्टिविटीज में भाग लें। चीनी लोग बेहद परिश्रमी होते हैं। मेरी मां फार्मास्यूटिकल कंपनियों की सलाहकार हैं और सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक काम करतीं हैं। उन्हें ऐसे दक्षिण भारतीय परिवार में एडजस्ट करना पड़ा, जिसने उनके लुक को लेकर कभी उन्हें पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। मगर मेरे माता-पिता एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े रहे और मुझे उन पर गर्व है।