शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था: राष्ट्रपति मुर्मू

शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था: राष्ट्रपति मुर्मू

शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था: राष्ट्रपति मुर्मू
Modified Date: August 14, 2025 / 08:06 pm IST
Published Date: August 14, 2025 8:06 pm IST

नयी दिल्ली, 14 अगस्त (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में वैश्विक शतरंज में भारत के दबदबे की सराहना की। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि देश खेल के क्षेत्र में ‘परिवर्तनकारी बदलावों’ की दहलीज पर है।

अट्ठारह वर्षीय डी गुकेश पिछले साल सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बने जिसके साथ भारत के शतरंज के दिग्गजों के लिए शानदार परिणामों का सत्र शुरू हुआ। इस दौरान आर प्रज्ञानानंदा, अर्जुन एरिगेसी, विदित गुजराती, कोनेरू हम्पी, दिव्या देशमुख और आर वैशाली जैसे खिलाड़ियों ने उच्च दबाव वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगातार मजबूत प्रदर्शन किया।

दिव्या (19) पिछले महीने फाइनल में हम्पी को हराकर सबसे कम उम्र की महिला विश्व कप विजेता बनीं।

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राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे युवा खेल-जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था। राष्ट्रीय खेल नीति 2025 में निहित विजन के अनुरूप हम ऐसे आमूल बदलावों की परिकल्पना कर रहे हैं जिनके बल पर भारत एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बेटियां हमारा गौरव हैं। वे प्रतिरक्षा और सुरक्षा सहित हर क्षेत्र में अवरोधों को पार करके आगे बढ़ रही हैं। खेल-कूद को उत्कृष्टता, सशक्तीकरण और क्षमताओं का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। विश्व शतरंज चैंपियनशिप के लिए ‘फिडे महिला विश्व कप’ का फाइनल मैच 19 वर्ष की भारत की एक बेटी (दिव्या) और 38 वर्ष की एक भारतीय महिला (हम्पी) के बीच खेला गया।’’

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह उपलब्धि पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारी महिलाओं में विद्यमान विश्व-स्तर की सतत उत्कृष्टता को रेखांकित करती है। रोजगार में भी लैंगिक अंतर कम हो रहा है। ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से महिला सशक्तीकरण अब केवल एक नारा ना रहकर यथार्थ बन गया है।’’

राष्ट्रीय खेल नीति प्रशासकों की जवाबदेही और ‘खेल क्षेत्र में नैतिक प्रथाओं, निष्पक्ष खेल और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने’ के लिए प्रक्रियाओं की स्थापना का आह्वान करती है।

इसमें राष्ट्रीय एजेंसियों और अंतर-मंत्रालय समितियों के गठन का भी प्रस्ताव है जिससे कि त्वरित कार्रवाई और मुद्दों के प्रभावी समाधान को सुगम बनाया जा सके और खेल पारिस्थितिकी तंत्र में पारदर्शिता तथा निर्बाध संचालन को बढ़ावा मिले।

भाषा सुधीर नमिता

नमिता


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