डेविस कप कप्तान राजपाल ने कोविड-19 से उबरने के बाद कहा, मौत के मुंह से बाहर आया

डेविस कप कप्तान राजपाल ने कोविड-19 से उबरने के बाद कहा, मौत के मुंह से बाहर आया

डेविस कप कप्तान राजपाल ने कोविड-19 से उबरने के बाद कहा, मौत के मुंह से बाहर आया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: May 22, 2021 12:56 pm IST

… अमनप्रीत सिंह…

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) भारतीय डेविस कप टीम के कप्तान रोहित राजपाल की कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आने के बाद स्थिति इतनी गंभीर हो गयी थी कि दो मई को उन्होंने अपने भाई को परिवार के सदस्यों को एक साथ जुटाने को कहा ताकि वह अंतिम बार सब को देख सके। उनके छोटे भाई राहुल ने हालांकि उन्हें हिम्मत नहीं हारने की सलाह दी। इसके बाद वह और उनके परिवार को अगले 48 घंटे तक अस्पताल में बिस्तर और ऑक्सीजन के लिए कई जगह भीख मांगनी पड़ी लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा मिली। उनके घरेलू नौकर की कोविड-19 के कारण अप्रैल 28 को हुई मौत के बाद ही राजपाल को पता चल गया था कि वह और उनका परिवार खतरे में है क्योंकि वे सभी उसके संपर्क में थे। पचास साल के राजपाल को 25 अप्रैल को पता चला कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये है। उन्हें पहले हलका बुखार आया लेकिन बाद में यह गंभर हो गया और उन्हें मौत से दो-दो हाथ करने पड़े। इस दौरान उनके पिता भी गंभीर रूप से बीमारी के चपेट में आ गये। दिल्ली भाजपा राज्य कार्यकारिणी के सदस्य, डीएलटीए (दिल्ली लॉन टेनिस संघ) के अध्यक्ष, एआईटीए (अखिल भारतीय टेनिस संघ) के कोषाध्यक्ष और सैकड़ों करोड़ की संपत्ति के इस मालिक को दिल्ली और गुरुग्राम के बड़े अस्पतालों में संपर्क करने के बाद ना तो जगह मिली ना ही ऑक्सीजन का इंतजाम हुआ। वायरस रोधी रेमेडिसिविर इंजेक्शन का इंतजाम हो पाया। उन्हें यह एहसास हो गया था कि करोड़ों की संपत्ति होने के बाद भी उनकी जिंदगी बस एक डोर के सहारे है। तभी उनके प्रदेश भाजपा सहयोगी (राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष) सतीश उपाध्याय का फोन आया और फिर अस्पताल में जगह मिली। राजपाल ने याद किया, ‘‘ सतीश भाई ने कहा कि मुझे ईस्ट ऑफ कैलाश स्थिति राष्ट्रीय हृदय संस्थान जाना चाहिये। आखिरीकर अस्पताल में जगह मिली।’’ इस बीच राजपाल के पारिवारिक सदस्य और बॉलीवुड अभिनेता फरदीन खान और डॉ अनिल जैन (एआईटीए अध्यक्ष) ने रेमेडिसिवर इंजेक्शन का इंतजाम कर दिया था जो उनके और उनके पिता के काम आया। राजपाल ने अस्पताल का शुक्रिया किया लेकिन बीमारी के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘ इतने लोग मारे गए। सभी के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं थी। यह अनुभव नरक जैसा था। मुझे लगता है कि मेरे पिता और मैंने कुछ अच्छे काम किए होंगे जिससे हम दोनों बच गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ डॉक्टरों, नर्सों और अस्पताल के अन्य कर्मियों को मेरा सलाम। उन्होंने हमें बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। वे मुझे आश्वासन देते रहे कि हम ठीक हो जाएंगे, मुझे प्रेरित करते रहे।’’ भाषा आनन्द सुधीरसुधीर

 ⁠

लेखक के बारे में