लखनऊ में खिताब की रक्षा से गायत्री-त्रीसा की शीर्ष 10 में वापसी की उम्मीद बढ़ी
लखनऊ में खिताब की रक्षा से गायत्री-त्रीसा की शीर्ष 10 में वापसी की उम्मीद बढ़ी
(अमित कुमार दास)
नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खिताब की रक्षा करके गायत्री गोपीचंद और त्रीसा जॉली ने सिर्फ एक और ट्रॉफी नहीं जीती बल्कि उन्हें वह लय भी वापस मिल गई है जिसकी तलाश वे इस सत्र में कर रहीं थी।
दो बार ऑल इंग्लैंड के सेमीफाइनल में जगह बनाने वाली गायत्री और त्रीसा की जोड़ी ने 2025 की सकारात्मक शुरुआत करते हुए ऑल इंग्लैंड के क्वार्टर फाइनल और फिर स्विस ओपन के सेमीफाइनल में जगह बनाई लेकिन जून तक दोनों को कंधे की लगातार समस्या का सामना करना पड़ा जिससे उन्हें मकाऊ ओपन के बाद सर्किट से बाहर होना पड़ा।
गायत्री और त्रीसा ने चोट से वापसी के बाद लखनऊ में अपनी दूसरे ही प्रतियोगिता में शानदार जीत हासिल की जिससे इस युवा भारतीय जोड़ी को 2026 के लिए स्पष्टता और आत्मविश्वास मिला है। इस जोड़ी का मकसद अब महिला युगल के शीर्ष में अपनी जगह फिर से हासिल करना होगा।
गायत्री ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे सैयद मोदी धैर्य रखने और प्रक्रिया पर भरोसा करने का इनाम जैसा लगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अभी फिर से खेलना शुरू किया है और इससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला है कि मेरा खेल सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।’’
कंधे की चोट के बाद लंबा रिहैबिलिटेशन चरण चला और गायत्री ने कहा कि इसका मानसिक पहलू भी उतना की चुनौतीपूर्ण था।
गायत्री ने कहा, ‘‘मकाऊ से पहले भी यह था और अब भी दर्द हो रहा था। मकाऊ के बाद दो महीने का ब्रेक लिया…. यह मुश्किल, चुनौतीपूर्ण स्थिति थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप रिहैब पर ध्यान केंद्रित करते हैं, पॉजिटिव रहते हैं, कोच, फिजियो, परिवार पर निर्भर रहते हैं… अगर मैं मानसिक रूप से मजबूत रहती हूं तो इससे मुझे मदद मिलती है।’’
गायत्री को अपने पिता, पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन और राष्ट्रीय मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद से काफी सुझाव मिलते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वह अपनी चोटों के बारे में बात करते हैं और मुझे बताते हैं कि क्या देखना हैं।’’
इस साल की शुरुआत में भारतीय जोड़ी 13 हफ्तों तक दुनिया की नौवें नंबर की जोड़ी थी और वे 2026 को दोबारा शीर्ष 10 में वापसी करना चाहते हैं।
गायत्री ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारे सबसे बड़े लक्ष्य विश्व युगल के शीर्ष खिलाड़ियों में आना, अधिक विश्व खिताब जीता, विश्व चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन करना है। और बेशक, ओलंपिक क्वालीफिकेशन की दिशा में भी काम करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और हां, मुझे लगता है कि अभी हमारे लिए निरंतरता में सुधार करना एक बड़ी बात है।’’
जब गायत्री उबर रहीं थी तब त्रीसा ने मिश्रित युगल में हरिहरन अम्साकारुणन के साथ अक्टूबर में तुर्किये अंतरराष्ट्रीय चैलेंज जीतकर खुद को मुकाबले के लिए तैयार रखा।
त्रीसा ने कहा, ‘‘जब गायत्री चोटिल हुई तो मैं बस टूर्नामेंट में खेलने का एहसास चाहती थी। इसी तरह मैंने मिश्रित युगल खेलना शुरू किया। मैं कह सकती हूं कि मुझे सच में इसमें मजा आ रहा है।’’
त्रीसा मानती हैं कि बड़े टूर्नामेंट शुरू होने के बाद व्यस्त कार्यक्रम के कारण मुश्किल हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी हमारे पास 1000 और 750 टूर्नामेंट में प्रवेश पाने के लिए कोई विश्व रैंकिंग नहीं है इसीलिए मैं थोड़ा भ्रम में हूं। मिश्रित युगल को भी कैसे मैनेज करू।’’
भाषा सुधीर नमिता
नमिता

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