विलो की जगह बांस के बल्ले के इस्तेमाल पर शोधकर्ता कर रहे अध्ययन

विलो की जगह बांस के बल्ले के इस्तेमाल पर शोधकर्ता कर रहे अध्ययन

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  • Publish Date - May 10, 2021 / 01:35 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

लंदन, 10 मई (भाषा) क्रिकेट में कश्मीर या इंग्लिश विलो (विशेष प्रकार के पेड़ की लकड़ी) के बल्ले का इस्तेमाल होता है लेकिन इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय के एक शोध में पता चला है कि बांस के बने बल्ले का इस्तेमाल कम खर्चीला होगा और उसका ’स्वीट स्पॉट’ भी बड़ा होगा।

बल्ले में स्वीट स्पॉट बीच के हिस्से से थोड़ा नीचे लेकिन सबसे नीचले हिस्से से ऊपर होता है और यहां से लगाया गया शॉट दमदार होता है।

इस शोध को दर्शील शाह और बेन टिंकलेर डेविस ने किया है।

शाह ने ‘द टाइम्स’ से कहा, ‘‘ एक बांस के बल्ले से यॉर्कर गेंद पर चौका मारना आसान होता है क्योंकि इसका स्वीट स्पॉट बड़ा होता है। यॉर्कर पर ही नहीं बल्कि हर तरह के शॉट के लिए यह बेहतर है।’’

गार्जियन अखबार के मुताबिक, ‘‘इंग्लिश विलो की आपूर्ति के साथ समस्या है। इस पेड़ को तैयार होने में लगभग 15 साल लगते हैं और बल्ला बनाते समय 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत लकड़ी बर्बाद हो जाती है।’’

शाह का मानना है कि बांस सस्ता है और काफी मात्रा में उपलब्ध है। यह तेजी से बढ़ता है और टिकाऊ भी है। बांस को उसकी टहनियों से उगाया जा सकता है और उसे पूरी तरह तैयार होने में सात साल लगते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ बांस चीन, जापान, दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में भी काफी मात्रा में पाया जाता है जहां क्रिकेट अब लोकप्रिय हो रहा।’’

इस अध्ययन को ‘स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शाह और डेविस की जोड़ी ने खुलासा किया कि उनके पास इस तरह के बल्ले का प्रोटोटाईप है जिसे बांस की लकड़ी को परत दर परत चिपकाकर बनाया गया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, बांस से बना बल्ला ‘विलो से बने बल्ले की तुलना में अधिक सख्त और मजबूत’ था, हालांकि इसके टूटने की संभावना अधिक है। इसमें भी विलो बल्ले की तरह कंपन होता है।

शाह ने कहा, ‘यह विलो के बल्ले की तुलना में भारी है और हम इसमें कुछ और बदलाव करना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा , ‘‘ बांस के बल्ले का स्वीट स्पॉट ज्यादा बड़ा होता है, जो बल्ले के निचले हिस्से तक रहता है।’’

आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) के नियमों के मुताबिक हालांकि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिर्फ लकड़ी (विलो) के बल्ले के इस्तेमाल की इजाजत है।

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर