Son became the captain of the Under-19 team.. Father left the job to teach 'Yash' cricket

बेटा बन गया अंडर-19 टीम का कप्तान.. ‘यश’ को क्रिकेट सिखाने पिता ने छोड़ी थी नौकरी

Son became the captain of the Under-19 team.. Father left the job to teach 'Yash' cricket

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : December 12, 2021/11:48 am IST

India Under-19 नई दिल्ली।  भारतीय टीम ने 4 बार अंडर-19 विश्व कप अपने नाम किया है, मोहम्मद कैफ, विराट कोहली, उन्मुक्त चंद और पृथ्वी शॉ की कप्तानी में भारतीय टीम ने अंडर-19 विश्व कप में जीता था। अब अंडर-19 एशिया कप के लिए सेलेक्टर्स ने दिल्ली के उभरते हुए युवा खिलाड़ी यश ढुल को भारतीय अंडर – 19 टीम का कप्तान चुना गया है और उम्मीद है जनवरी में वेस्टइंडीज में होने वाले अंडर- 19 विश्व कप के लिए भी यश ढुल को कप्तान बनाया जा सकता है।

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UN-19 का नेतृत्व करेंगे यश 

India Under-19 यश ने भी इन्हीं सारी बातों को याद करते हुए कहा कि उनका क्रिकेट खेलना सिर्फ उनका अपना नहीं बल्कि पूरे परिवार का सपना बन गया था। यश कहते हैं, ‘ जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब से लेकर मेरे सपने को पूरा करने के लिए मेरे परिवार ने काफी संघर्ष किया है, और बुरा वक्त भी देखना पड़ा है।’ अब यश UAE में होने वाले एशिया कप के लिए भारतीय अंडर 19 टीम का नेतृत्व करेंगे। यश ने दिल्ली अंडर 16, अंडर 19 और चैलंजर ट्रॉफी में भारतीय अंडर 19 A टीम की कमान संभाली थी। यश के नेतृत्व में भारतीय टीम से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

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एशिया कप के बाद अगले महीने वेस्टइंडीज में अंडर-19 विश्व कप खेला जाएगा। अंडर-19 विश्व कप की गतविजेता टीम बांग्लादेश है, बांग्लादेश ने दक्षिण अफ्रीका में 2020 में खेले गए अंडर -19 विश्व कप को जीता था। बांग्लादेश की टीम ने भारतीय टीम को करीबी मुकाबले में मात दी थी।

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यश ढुल और उनके परिवार ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने संघर्ष की कहानी बताई है। यश ने बताया कि उनके क्रिकेट करियर के लिए उनके परिवार को काफी संघर्ष और त्याग करना पड़ा। अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए यश के पिता ने अपनी नौकरी को भी छोड़ दिया था। यश के पिता एक कॉस्मेटिक कंपनी में काम करते थे। यश के पिता ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे को एक बड़ा क्रिकेटर बनाने के लिए कुछ समझौते किए थे।

यश के पिता ने कहा, ‘अपने बेटे को दिल्ली जैसे बड़े शहर में बतौर क्रिकेटर तैयार करने के लिए आपको कुछ समझौते करने पड़ते हैं। यश को पूरा समय देने के लिए मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद आर्थिक रूप से कुछ अस्थिरता जरूर थी लेकिन मैंने यश के लिए क्रिकेट के लिए जरूरी सारा सामान मुहैय्या कराया।’

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यश के पिता ने यह भी बताया कि घर चलाने के लिए यश के दादा जी की पेंशन का इस्तेमाल करना पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘ यश को मैंने सबसे अच्छे इंग्लिश विलो बैट दिए और उनके पास सिर्फ 1 बैट नहीं था मैं उसे हमेशा अपग्रेड करता रहा। मेरे पिता जी एक फौजी थे और उनकी पेंशन से हमारा घर चलता था’।

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यश के पिता बताते हैं कि यश की मां ने उनका क्रिकेट का टैलेंट सबसे पहले पहचाना था। उन्होंने एक किस्से को याद करते हुए बताया कि 4 साल की उम्र में यश की मां ने पहली बार यश की गेंद की समझ और क्रिकेट की रुचि पर ध्यान दिया था। इसके बाद खुद यश के पिता उन्हें घंटो यश को घर की छत पर प्रैक्टिस करवाते थे। 12 साल की उम्र में यश ने दिल्ली अंडर-14 का प्रतिनिधित्व किया था तब घर वालों को अपनी मेहनत में थोड़ी सफलता नजर आई थी।

 

 
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