बेस्वाद सप्लीमेंट और योग है निशानेबाज रमिता जिंदल की सफलता की कुंजी

बेस्वाद सप्लीमेंट और योग है निशानेबाज रमिता जिंदल की सफलता की कुंजी

बेस्वाद सप्लीमेंट और योग है निशानेबाज रमिता जिंदल की सफलता की कुंजी
Modified Date: September 26, 2023 / 01:42 pm IST
Published Date: September 26, 2023 1:42 pm IST

हांगझोउ, 26 सितंबर ( भाषा ) बेस्वाद सप्लीमेंट खाना , प्राणायाम और योग कोई भी टीनएजर रोज नहीं करना चाहेगा लेकिन निशानेबाज रमिता जिंदल की यही दिनचर्या थी जिसने यहां एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन किया है ।

रमिता महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में रजत जीतने वाली भारतीय महिला टीम की सदस्य थी और व्यक्तिगत स्पर्धा में भी उसने कांस्य पदक जीता ।

वह और दिव्यांश पंवार मामूली अंतर से मिश्रित युगल का कांस्य जीतने से चूक गए ।

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हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के लाडवा कस्बे की रहने वाली रमिता ने कहा ,‘‘ मैने मनोवैज्ञानिक गायत्री वर्तक से सलाह ली जिन्होंने मुझे यह सारी तकनीक बताई । मैं सुबह प्राणायाम और योग करती हूं । इससे शांतचित्त रहने में मदद मिलती है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ खुराक भी अहम है और मेरे पास इसके लिये भी विशेषज्ञ है । उन्होंने मुझे सप्लीमेंट दिये । चूंकि मैं शाकाहारी हूं तो सारे सप्लीमेंट लेती हूं जिनका स्वाद बहुत ही खराब है । लेकिन क्या कर सकते हैं । मुझे घंटों तक खड़ा रहना होता है ।’’

रमिता के पिता अरविंद उसे 2017 में निशानेबाजी रेंज पर ले गए और उसे पहली बार में ही यह खेल बहुत पसंद आया । उस समय वह 13 वर्ष की थी और आठवीं में पढती थी ।

उसने कहा ,‘‘ मैने करण निशानेबाजी अकादमी में प्रवेश लिया और खेल को कैरियर बनाने की सोची ।’’

रमिता के पिता वकील होने के साथ कुरूक्षेत्र में आयकर सलाहकार भी हैं लिहाजा उसे कभी आर्थिक परेशानी पेश नहीं आई । उसने कहा ,‘‘ मेरे पिता ने कभी किसी बात के लिये मुझे मना नहीं किया । राइफल चाहिये थी तो वह ले दी । नयी किट ला दी । उन्होंने मुझे कोई कठिनाई नहीं आने दी हालांकि वह अपने खर्च में कटौती करते रहे ।’’

दिल्ली के हंसराज कॉलेज में बी कॉम की छात्रा रमिता को उनके संस्थान से प्रतिस्पर्धा के दौरान क्लास से गैर हाजिर रहने की छूट मिली हुई है ।

उसने कहा ,‘‘ यहां मेरे पास पढने का समय नहीं है लेकिन टूर्नामेंट से इतर और ब्रेक के दौरान मैं पढती हूं । मैं कॉलेज नहीं जा पाती और कॉलेज से पूरा समर्थन मिला है । मुझे दोस्तों से नोट्स मिल जाते हैं और यूट्यूब से काफी मदद मिलती है ।’

रमिता ने कहा कि ओलंपिक में किसी भारतीय महिला ने पदक नहीं जीता है और उनका लक्ष्य अगले साल पेरिस में इस कमी को दूर करने का है ।

उसने कहा ,‘‘ अभिनव सर हर निशानेबाज की प्रेरणा है । मैं उनकी तरह ओलंपिक में पदक जीतना चाहती हूं जो अभी तक किसी भारतीय महिला निशानेबाज ने नहीं जीता है । मैने अभी सीनियर टीम के साथ खेलना शुरू किया है लेकिन मैं फिर भी पेरिस ओलंपिक की टीम में जगह बनाना चाहूंगी ।’’

भाषा मोना आनन्द

आनन्द


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