विवादास्पद फैसले देने वाली अतिरिक्त न्यायाधीश ने और एक साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली | Additional judge who gave controversial verdict sworn in for further one-year term

विवादास्पद फैसले देने वाली अतिरिक्त न्यायाधीश ने और एक साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली

विवादास्पद फैसले देने वाली अतिरिक्त न्यायाधीश ने और एक साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली

विवादास्पद फैसले देने वाली अतिरिक्त न्यायाधीश ने और एक साल के कार्यकाल के लिए शपथ ली
Modified Date: November 29, 2022 / 08:41 pm IST
Published Date: February 13, 2021 11:31 am IST

मुंबई, 13 फरवरी (भाषा) यौन उत्पीड़न के मामलों में दो विवादास्पद फैसले देने वाली बंबई उच्च न्यायालय की न्यायाधीश पुष्पा गणेदीवाला ने अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर और एक साल के कार्यकाल के लिए शनिवार को शपथ ली।

न्यायमूर्ति गणेदीवाला का बंबई उच्च न्यायालय में अतिरक्ति न्यायाधीश के तौर पर पिछला कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो गया था।

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति नितिन जामदार ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।

शपथ ग्रहण समारोह में बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि पिछले महीने उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति गणेदीवाला के दो विवादास्पद फैसलों के बाद उन्हें अदालत की स्थायी न्यायाधीश नियुक्त करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी वापस ले ली थी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 20 जनवरी को एक बैठक में न्यायमूर्ति गणेदीवाला को स्थायी न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

कॉलेजियम ने यह सिफारिश की थी कि उन्हें (न्यायमूर्ति गणेदीवाला को) दो साल के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर एक नया कार्यकाल दिया जाए।

हालांकि, सरकार ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि उन्हें एक साल के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर एक नया कार्यकाल दिया गया है।

गौरतलब है कि स्थायी न्यायाधीश पद पर पदोन्नत किये जाने से पहले अतिरिक्त न्यायाधीश को आमतौर पर दो साल के लिए नियुक्त किया जाता है।

न्यायमूर्ति गणेदीवाला को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत यौन उत्पीड़न की उनकी व्याख्या को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।

न्यायमूर्ति गणेदीवाला ने हाल ही में एक व्यक्ति को 12 साल की एक लड़की को बुरा स्पर्श करने के मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया था कि उसने कपड़ों के ऊपर से उसे स्पर्श किया था। वहीं, उन्होंने इसके कुछ ही दिन पहले, एक अन्य फैसले में कहा था कि पांच साल की बच्ची का हाथ पकड़ना और कुछ आपत्तिजनक हरकत करने को पॉक्सो कानून के तहत यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता।

उच्चतम न्यायालय ने व्यक्ति को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी। दरअसल, अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि उच्च न्यायालय का यह आदेश गलत उदाहरण स्थापित करेगा।

भाषा

सुभाष उमा

उमा

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