आदिवासी संगठनों का आरोप-प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल कर रही सरकार,अब पूरी-सब्जी बहिष्कार की रणनीति
आदिवासी संगठनों का आरोप-प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल कर रही सरकार,अब पूरी-सब्जी बहिष्कार की रणनीति
बैतूल। मध्यप्रदेश में जूते–चप्पलों पर मचे घमासान के बीच अब आदिवासी संगठनों के पूरी-सब्जी के बहिष्कार की रणनीति ने सरकार की नींद उड़ा दी है। संगठन अब ऐलान कर रहे हैं कि वे जूते चप्पल न पहनने का अभियान चला रहे हैं, साथ ही आदिवासी समाज को सरकारी कार्यक्रमों की पूरी-सब्जी न खाने की सलाह भी दे रहे है। वे इसके पीछे आदिवासियों के खिलाफ बड़ी साजिश मान रहे हैं।
बैतूल में आज कलेक्टोरटेट प्रदर्शन करने पहुंचे संगठनों ने साफ़ कर दिया कि वे भोजन के बहिष्कार का अभियान चलाएंगे। सरकार के मंत्री इसे कांग्रेस की साजिश बता रहे है। इसके पहले तेंदूपत्ता संग्राहको को बांटे गए जूते–चप्पलों में केमिकल के आरोपों के साथ आज बैतूल में आदिवासी, दलित संगठनों ने जूते चप्पल लेकर बैतूल कलेक्टोरेट पर प्रदर्शन किया।
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आदिवासी संगठनों का आरोप है कि बांटे गए जूते–चप्पल केमिकलयुक्त है, जिससे कैंसर होने का ख़तरा है। संगठनों ने इन आरोपों के साथ केंद्रीय चर्म अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट भी पेश की। जबकि बैतूल के प्रभारी और सामान्य प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य ने इसे कांग्रेस का षड्यंत्र बताते हुए कहा है कि कांग्रेस अब दलितों और आदिवासियों को भड़का कर अपना वोट बैंक पाना चाहती है।
वहीं भीम सेना और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आदिवासी युवा संगठन, जयेस के कार्यकर्ताओं ने आदिवासी मंगल भवन से हाथों में जूते–चप्पल लेकर रैली निकाली और कलेक्टोरेट आकर राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन कलेक्टर की गैर मौजूदगी में एसडीएम को सौंपा। ज्ञापन में इन जूतों के वितरण और उसमें केमिकल की जांच कराने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। आदिवासी संगठनों का आरोप है कि सरकार उन्हें प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल कर रही है। भविष्य सरकारी कार्यक्रमों की आलू पूरी तक न खाने देने के लिए समाज को जागरूक करेंगे।
वेब डेस्क, IBC24

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