बजरा हादसा : इंजीनियर का वापस लौटने का परिवार से किया वादा पूरा नहीं हो सका

बजरा हादसा : इंजीनियर का वापस लौटने का परिवार से किया वादा पूरा नहीं हो सका

बजरा हादसा : इंजीनियर का वापस लौटने का परिवार से किया वादा पूरा नहीं हो सका
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: May 20, 2021 2:58 pm IST

ज्ञानेश चह्वाण

मुंबई, 20 मई (भाषा) दो महीने पहले उसकी शादी हुई थी और उसने अपने परिवार से वादा किया था कि बजरे से वापस घर आ कर वह अपने विवाह की तस्वीरों के एलबम को अंतिम रूप देगा । लेकिन वह अपने परिवार से किए गए वादे को पूरा नहीं कर पाया।

…..यह किसी कहानी या उपन्यास का अंश नहीं है, बल्कि हाल ही में हुये बजरा हादसे में मारे गये 37 साल के विशाल कटदारे की भयानक सच्चाई है, क्योंकि परिजनों से किया हुआ उसका वादा अब कभी पूरा नहीं होगा । विशाल बजरा पी 305 पर मौजूद थे और घर लौटने के सपने देख रहे थे कि इसी दौरान यह बजरा चक्रवात ताउते की चपेट आकर डूब गया ​जिससे उनकी मौत हो गयी ।

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महाराष्ट्र के ठाणे जिले के अम्बरनाथ शहर के रहने वाले विशाल बजरे पर क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर के रूप में तैनात थे । वह बजरे पर तैनात उन 37 लोगों में शामिल थे जिनके शव बुधवार को मुंबई के तट पर पहुंचे ।

पीटीआई—भाषा से बातचीत में विशाल के मित्र पवन कुलकर्णी ने केहा, ”मैं विशाल को तब से जानता हूं जब हम पांचवी कक्षा में पढ़ते थे । वह एक सामान्य व्यक्ति था जिसे अपने परिवार से प्यार था ।”

पवन ने बताया, ”अभी दो महीने पहले ही उसकी शादी हुयी थी और उसके विवाह की तस्वीरों का एलबम भी नहीं बनी थी । विशाल ने अपने परिवार के सदस्यों से कहा था कि वह बजरे पर से लौटने के बाद तस्वीरों का चयन करेगा और एलबम को अंतिम रूप देगा । बजरे को 26 को वापस लौटना था ।”

कुलकर्णी ने कहा कि जब उसके परिजनों और दोस्तों को उसकी मृत्यु की खबर मिली तो प्रत्येक व्यक्ति स्तब्ध रह गया ।

विशाल के परिवार में 80 साल के पिता, 75 साल की मां, उसकी पत्नी, बड़ी बहन और भाई है । भाई बहनों में वह सबसे छोटा था ।

कुलकर्णी ने कहा, ”उसके बहुत सारे सपने थे और अपने परिवार के लिये कई चीजें करना चाहता था, लेकिन अब सब समाप्त हो गया ।”

उन्होंने कहा कि विशाल और उसके 32 साल के सहयोगी दीपक टीके को जब नौसेना ने बचाया तो वह 12 घंटे से पानी में थे ।

नौसेना ने महसूस किया कि विशाल अर्द्ध चेतन अवस्था में है किंतु बाद में उसकी मौत हो गयी । हालांकि, दीपक जीवित बच गया ।

उसके दोस्त ने बताया, ”दीपक ने हमसे कहा कि विशाल ने उसे पीछे से कस कर पकड़ लिया था और बचाये जाने तक वे इसी अवस्था में थे ।

उसने कहा कि तैरने के उनके प्रयास के दौरान विशाल ने दीपक को बताया कि यह उसका आखिरी मौका होगा जब वह समुद्र में है और नौकरी के​ लिये अब भी वापस नहीं लौटेगा ।

कुलकर्णी के अनुसार उन लोगों ने पोस्टमार्टम के बाद विशाल का शव जेजे अस्पताल से प्राप्त किया ।

उन्होंने कहा, ”हमें पता चला कि उसका चेहरा और हाथ सफेद पड़ गया था क्योंकि वह लंबे समय से पानी में था…..जब हम उसके शव को लेक​र उसके घर गये तो उसके रोते विलखते परिजनों को देख कर कोई भी अपने आंसू नहीं रोक सका ।”

उन्होंने बताया कि विशाल को तैरना नहीं आता था लेकिन इसके बावजूद उसे नौकरी मिली और ऐसा ही दीपक टीके के साथ भी था ।

कुलकर्णी ने पूछा, ”कैसे कोई कंपनी इस तरह की ड्यूटी पर, ऐसी परिस्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिये बगैर लोगों को भेज सकती है ।”

उसने जानना चाहा कि, चक्रवात के बारे में सबको पता था, तो बजरे को तट पर क्यों नहीं लाया गया ।

इंजीनियर के दोस्त ने कहा, ”विशाल पिछले महीने बजरे पर गया था । चक्रवात की चपेट में आने के बाद बजरा डूबने लगा । उसने रविवार को दोपहर करीब एक बजे पत्नी को मैसेज किया था ।

कुलकर्णी ने बताया कि मैसेज में विशाल ने कहा था कि चक्रवात की स्थिति के कारण बजरा तट की ओर जा रहा है और वे सब सुरक्षित घर लौट आयेंगे ।

उन्होंने कहा, ”इस मामले की जांच होनी चाहिये कि चक्रवात की चेतावनी के बावजूद बजरा समुद्र में कैसे रूका रहा ।”

उसने आरोप लगाया कि अफकोंस कंपनी को बजरे को तट की ओर वापस लौटने के लिये एक कॉल करना था, लेकिन इसने ऐसा नहीं किया ।

उन्होंने कहा, ”कुछ लोगों ने हमें बताया कि बजरे के कप्तान की समुद्र में बने रहने की जिद थी ​क्योंकि वह इस बात को लेकर आश्वस्त था कि चक्रवात से उन लोगों को हानि नहीं होगी ।’’

लेकिन जैसे ही बजरा डूबने लगा, कैप्टन बिना लाइफ जैकेट के पानी में कूद गया ।

उल्लेखनीय है कि अरब सागर में बजरा के डूबने की घटना में उस पर मौजूद 37 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 38 अब भी लापता हैं । यह बजरा ओएनजीसी की ​परियोजना पर तैनात था ।

भाषा रंजन माधव

माधव


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