पटना, नौ मार्च (भाषा) बिहार भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में केवल एक वर्ष में देश में 23 वें स्थान से 8 वें स्थान पर पहुंच गया है ।
राजस्व और भूमि सुधार विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार बिहार में भू-अभिलेखों और सेवाओं के डिजिटलीकरण में उल्लेखनीय सुधार हुआ है क्योंकि यह प्रदेश 2019-20 के 23 वें स्थान से 2020-21 में 8 वें स्थान पर पहुंच गया है।
एनसीएईआर के लैंड रिकॉर्ड्स एंड सर्विसेज इंडेक्स 2021 (एन-एलआरएसआई) के अनुसार 2020-21 में भूमि रिकॉर्ड और सेवाओं के डिजिटलीकरण में बिहार की प्रगति सबसे अच्छी थी।
एन-एलआरएसआई को प्रसिद्ध गैर लाभकारी आर्थिक थिंक टैंक एनसीएईआर (नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च) द्वारा तैयार किया गया है ताकि भूमि रिकॉर्ड और सेवाओं के डिजिटलीकरण की सीमा तथा रिकॉर्ड डिजिटलीकरण की प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार हो सके। सूचकांक का पहला संस्करण पिछले साल (2019-2020) जारी किया गया था।
भूमि रिकॉर्ड के आधुनिकीकरण और नागरिक केंद्रित सेवाओं की पेशकश करने में बिहार के मजबूत प्रयासों के कारण 2020-21 में उसका कुल स्कोर 64.8 हो गया जबकि 2019-20 में यह 28.8 था इसके समग्र स्कोर में 125 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
इसके विपरीत 32 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में यह स्कोर 2019-20 में 38.7 प्रतिशत से 2020-21 में बढ़कर 45.1 हो गया ।
बिहार में डिजिटलीकरण की पृष्ठभूमि पर नागरिक केंद्रित भूमि रिकॉर्ड सेवाएं शुरू की गयी है। सभी नागरिक ऑनलाइन म्यूटेशन, ऑनलाइन लगान भुगतान सहित अन्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं ।
बिहार ने 3.78 करोड़ जमाबंदी और 73086 स्थानिक रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है। पंजीकरण प्रक्रिया को रिकॉर्ड से जोड़ा गया है और ऑनलाइन भुगतान किया जा सकता है।
भाषा अनवर
राजकुमार
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