सीबीआई ने बाबरी मामले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की भूमिका की संभावना की जांच नहीं की:अदालत

सीबीआई ने बाबरी मामले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की भूमिका की संभावना की जांच नहीं की:अदालत

सीबीआई ने बाबरी मामले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की भूमिका की संभावना की जांच नहीं की:अदालत
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: October 1, 2020 1:14 pm IST

लखनऊ, एक अक्टूबर (भाषा) लखनऊ की एक विशेष अदालत ने कहा है कि सीबीआई ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाये जाने के प्रकरण में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जुड़ी एक ‘अहम’ गुप्त सूचना की जांच नहीं की।

अदालत ने कहा कि सीबीआई ने यह जांच नहीं की कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोग राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे में घुसे होंगे और उसे नुकसान पहुंचाया होगा, ताकि देश में साम्प्रदायिक अशांति पैदा की जा सके।

विशेष न्यायाधीश एस. के. यादव ने अभियोजन के कई गवाहों के बयानों में विसंगति का हवाला दते हुए कहा कि विवादित ढांचे को ढहाने के लिये आपराधिक साजिश और अन्य आरोप मामले में 32 हाई-प्रोफाइल आरोपियों के खिलाफ साबित नहीं होते हैं।

हिंदी में लिखे 2,300 पृष्ठों के फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का मामला इस लिहाज से कमजोर हो गया कि उसने जांच नहीं की तथा न्यायिक पड़ताल के दायरे में आपराधिक साजिश के आरोप को लाने के लिये विवादित ढांचा ढहाये जाने के पाकिस्तान से जुड़े पहलू को खारिज कर दिया।

Read More News: भारत में कोरोना वायरस संक्रमण प्रमुख रूप से बच्चों से फैल रहा: अनुसंधान

विशेष अदालत ने बुधवार को भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित अन्य आरोपियों को विवादित ढांचे को ढहाने की साजिश रचने के आरोपों से बरी करते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने कहा आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ सीबीआई के आरोप इसलिए भी ‘‘कमजोर हो गये कि उसने स्थानीय खुफिया इकाई (लोकल इंटेलीजेंस यूनिट) द्वारा पांच दिसंबर 1992 को भेजी एक रिपोर्ट की छानबीन नहीं की। उसमें कहा गया था कि छह दिसंबर 1992 को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के कुछ लोग स्थानीय भीड़ में शामिल हो कर ढांचे को नुकसान पहुंचा सकते हैं।’’

इसमें इस बात का जिक्र किया किया गया है कि इस बारे में स्थानीय खुफिया सूचना थी कि दो दिसंबर 1992 को खुद से कुछ मजार तोड़ दिये गये और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उन्हें आग के हवाले कर दिया, ताकि साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ा जा सके और कार सेवा बाधित हो सके।

एलआईयू की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के महानिरीक्षक (सुरक्षा) के हस्ताक्षर हैं।

फैसले में एलआईयू की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि ‘‘पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से जुड़े लोग अयोध्या में भीड़ में शामिल हो सकते हैं और वे विवादित ढांचे को विस्फोट कर तथा अन्य तरीकों से नुकसान पहुंचा कर राज्य में और देश में अशांति पैदा कर सकते हैं। ’’

Read More News: शहर महिला कांग्रेस अध्यक्ष की सड़क हादसे में मौत, पति के साथ बाइक से गई थीं रायपुर

अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि ऐसी सूचना थी कि पाकिस्तान से मंगाये गये विस्फोटक दिल्ली के रास्ते अयोध्या पहुंचे हैं, जबकि अन्य खुफिया रिपोर्ट में प्रशासन को चेतावनी दी गई थी कि जम्मू कश्मीर के उधमपुर इलाके से असामाजिक/गैर-राष्ट्रीय तत्व करीब 100 लोग कार सेवक के वेश में अयोध्या आ रहे हैं।

अदालत ने कहा कि ये रिपोर्ट संबद्ध अधिकारियों को प्राप्त हुई और उस पर कार्रवाई की गई।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह सूचना प्रधान सचिव (गृह) उत्तर प्रदेश को भेजी गई और राज्य की सभी सुरक्षा एजेंसियों को इस बारे में लिखित रूप से सूचना दी गई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की अहम सूचना होने के बावजूद, इन पहलुओं की जांच नहीं की गई।’’

Read More News: रोका गया प्रियंका और राहुल का काफिला, हाथरस के लिये पैदल निकले

यह मामला अयोध्या में विवादित ढांचे को छह दिसंबर 1992 को ढहाये जाने से संबद्ध है, जिसके चलते कई महीनों तक दंगे हुए थे और उनमें देश भर में करीब 2,000 लोग मारे गये।

यह ढांचा ‘कार सेवकों’ ने गिरा दिया जिनका दावा था कि अयोध्या में 16वीं सदी में बाबरी मस्जिद का निर्माण प्राचीन राम मंदिर स्थल पर किया गया था।

इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उप्र के पूव्र मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, जिनके कार्यकाल के दौरान ढांचा ध्वस्त किया गया था, के अलावा विहिप के नेताओं विनय कटियार और साध्वी ऋतंबरा सहित 32 आरोपी थे।

इस मामले में 49 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप निर्धारित किये गये गये थे लेकिन मुकदमे की सुनवाई के दौरान इनमें से 17 आरोपियों (अशोक सिंहल, बालासाहेब ठाकरे और विजयराज सिंधिंया सहित) का निधन हो गया था।

Read More News: भारत में कोरोना वायरस संक्रमण प्रमुख रूप से बच्चों से फैल रहा: अनुसंधान

निचली अदालत ने 2001 में आरोपियों के खिलाफ पहली बार आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप को हटा दिया था। इस फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में बरकरार रखा था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने 19 अप्रैल, 2017 के फैसले में आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप बहाल कर दिये थे।

आपराधिक साजिश का आरोप धर्म के आधार पर विभिन्न समूहो के बीच वैमनस्यता फैलाने के आरोप के अलावा था।

हालांकि, आरोपियों ने खुद को निर्दोष बताते हुये दावा किया था कि उनके अपराध साबित करने के लिये कोई साक्ष्य नहीं है। इन सभी ने दावा किा था कि उन्हें केन्द्र में तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस ने राजनीतिक विद्वेष की वजह से फंसाया है।


लेखक के बारे में

Shahnawaz Sadique is a digital marketing powerhouse with over 11 years of experience in the industry. His expertise encompasses a wide range of skills, from content writing and affiliate marketing to product launches and email campaigns. With 11 years of experience in social media, SMM, and SEO, he's an expert at helping businesses increase their online reach. From travel to business, education, media, tech, and cyber security, Shahnawaz has a proven track record of delivering results for clients across various sectors. Shahnawaz is also working as Sr. Digital Marketing Manager @ IBC24 News. He has a 8+ years of releveant experince in news industry as well. Want to take your media company to the next level? Look no further than Shahnawaz Sadique, He has been featured in top publications like FoxNews, Yahoo, MSN, WordStream, TastyEdits, LifeWire, SheFinds , Tech.Co and many more. the ultimate digital marketing pro.