इंदौर। इन दिनों शहर सिन्थैटिक ड्रग्स का बड़ा सेंटर बन चुका है। अब तक प्रतिबंधित एमडीएमए जैसे ड्रग्स की ही बरामदगी होती रही है। लेकिन अब नशे के लिए कई ऐसी दवाईयों का इस्तेमाल भी तेजी से बढ गया है, जो कि मरीजों के ईलाज के लिए इस्तेमाल होती रही है। नशे की दवाईयों के इन सौदागरों के खिलाफ पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां बड़ी कार्रवाई कर चुकी है। लेकिन अभी भी नेटवर्क पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
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अल्प्राजोलम, कोडिन फास्फेट कफ सिरप और नाइट्रावेट ये कुछ दवाईयों के नाम है। जो कि न्यूरो-साइकोट्रोपिक दवाईयां है। यानी नशीली दवाईयां जिनका इस्तेमाल मरीजों के ईलाज के लिए किया जाता है। लेकिन अब इन दवाईयों को नशे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल, ये सिन्थैटिक ड्रग्स है अब तक सबसे ज्यादा सैन्थैटिक ड्रग्स के तौर पर एमडीएमए की बरामदगी की जाती रही है। चूंकि एमडीएमए प्रतिबंधित है और इसका दाम भी बहुत ज्यादा होता है। लिहाजा सस्ते नशे के तौर पर इन दवाईयों का इस्तेमाल तेजी से बढ गया है।
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हाल ही में डायरेक्टोरेट आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस की इंदौर जोनल यूनिट ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए प्रदेश के इंदौर,ग्वालियर और शिवपुरी में बड़े नेटवर्क का खुलासा करते हुए तीन लोगों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तार आरोपी फार्मासिस्ट है, जो कि इन दवाईयों को ग्रे मार्केट में नशे के लिए बेचते थे। हालाकि,ये पहली कार्रवाई नहीं है इसके पहले भी इंदौर पुलिस बड़ी मात्रा में अल्प्रोजोलम और नाइट्रावेट जैसे नशीली दवाईयों को बरामद कर चुकी है। अभी भी पुलिस सैन्थेटिक ड्रग्स के नेटवर्क को खत्म करने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है।
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इस मामले के जानकार भी मानते हैं, कि इन दवाईयों को बिना डॉक्टर के प्रिस्किपसन के नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन अपना करोबार बढ़ाने के लिए कई दुकान संचालक इन दवाईयों को ऐसे ही बेच देते हैं। जो कि सिन्थैटिक ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल हो रही है। इन दवाईयों को ज्यादा डोज सीधा न्यूरों सिस्टम पर असर करता है जिससे नशा होता है। हालाकि, ड्रग्स के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई तो लगातार जारी है। लेकिन सस्ते नशे के इस नेटवर्क को तोड़ पाना इतना आसान नहीं है। क्योंकि ये आसानी से मिलने वाली दवाईयां है जो कि युवाओं को नशे का आदी बना रही है।
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