आदिवासी महिलाओं का कमाल, गांव गांव घूम कर हैंडपंप सुधारने का उठाया बीड़ा

आदिवासी महिलाओं का कमाल, गांव गांव घूम कर हैंडपंप सुधारने का उठाया बीड़ा

आदिवासी महिलाओं का कमाल, गांव गांव घूम कर हैंडपंप सुधारने का उठाया बीड़ा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:12 pm IST
Published Date: June 24, 2018 6:04 am IST

 बुंदेलखंड। घरेलु महिलाएं अगर चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकती इसका अच्छा खासा सबूत है छतरपुर के घुवारा क्षेत्र की झिरियाझोर गांव की 15 आदिवासी माहिलाये। एक तरफ आंकड़े कहते हैं कि इस क्षेत्र की महिलाएं पिछड़ी हुई है तो दूसरी तरफ उनका  जज्बा पिछड़ेपन के बावजूद इस गांव की अलग पहचान देने में लगा है। यहां कि आदिवासी महिलाओ का समूह हैंडपंप सुधारने में माहिर है और पिछले 3 सालो से ख़राब पड़े हैंडपम्पों को सुधारने में कई गावों का सफर कर चुका है,ऐसे में भीषण सूखे के चलते पानी की एक एक बूँद को तरस रहे लोगों के लिए ये महिलाएं वरदान साबित  हो रही हो जो हैंडपंप सुधारकर लोगों की प्यास बुझा रहीं हैं। 

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भीषण जल संकट में जहां गांवों में महज हैंडपम्प ही पानी का सहारा बचे हैं ऐसे में जब इस इलाके में कोई भी हैंडपम्प खराब हो जाता है तो लोगो को पीएचई विभाग नही याद आता क्योंकि सरकारी प्रक्रिया में लगभग एक सप्ताह का समय लग जाता है लेकिन आदिवासी महिलाओं के इस ग्रुप को बस संदेशा भेजो और निकल पड़ती है। सबसे खास बात ये है कि इन जांबाज महिलाओं की टोली, चिलचिलाती धूप और हैंडपम्प का तपता लोहा इनके हौसले और समर्पण के आगे नरम हो जाता है।इन आदिवासी महिलाओं का  कहना है कि अगर हमें आधुनिक औजार और सुविधाएं मिलें तो हम समाज  के लिए और भी बेहतर काम कर सकती है। 

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वेब डेस्क IBC24


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