श्योपुर के चैपना गांव में जीते जी तो दूर मरने के बाद भी इंसानों को सीधा रास्ता नसीब नहीं हो रहा है….।दरअसल गांव के दबंगों ने मुक्तिधाम जाने के सार्वजनिक रास्ते पर कब्जा कर खेती करनी शुरू कर दी है….जिससे गांव के लोगों को गांव के किसी भी व्यक्ति की मौत होने पर उसकी अंतिम यात्रा के लिए धान के खेतों में जमा कीचड़ के बीच से ले जाना पड़ता है…।ताजा मामला गांव के 50 साल के पहलवान मीणा की मौत का है….जहां ग्रामीणों को पहलवान की अंतिम यात्रा धान के खेतों में जमा कीचड़ के बीच से ले जानी पड़ी…।वहीं ये पहला मामला नहीं है…लगभग गांव में किसी की भी मौत होने के बाद उसके अंतिम यात्रा के लिए मुक्तिधाम का सफर इसी तरह तय करना पड़ता है…।वहीं ग्रामीणों ने प्रशासन को कई बार मामले की जानकारी देकर रास्ते से कब्जा हटाने की गुहार भी लगाई….लेकिन प्रशासन ने यहां झांकना भी मुनासिब नहीं समझा।
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