रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने के बाद आबकारी विभाग की एक सूचना से यह चर्चा होने लगी कि अगले वित्तीय वर्ष से शराब दुकानें फिर से ठेका पद्धति पर जाएंगी। इस चर्चा के गरम होते ही आबकारी विभाग ने अब सफाई दी है कि यह प्रतिवर्ष होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है और इसका देशी-विदेशी मदिरा के फुटकर विक्रय के व्यवस्थापन एवं सेवा से कोई संबंध नहीं है।
बता दें कि आबकारी विभाग के 26 दिसंबर को एक सूचना पत्र जारी किया था कि वर्ष 2018-19 के लिए ठेका व्यवस्थापन कार्य शीघ्र प्रांरभ होना संभावित है। वर्ष 2018-19 के लिए भारत में निर्मित विदेशी विदेशी मदिरा/भारत के बाहर आयतित विदेशी मदिरा के नवीन ब्रांड/लेवलों का पंजीयन कराए जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत करने के लिए दिनांक 10.01.2019 तक समय सीमा निर्धारित की जाती है। इस सूचना पत्र में कहा गया था कि निर्धारित दिनांक के पश्चात नवीन ब्रांड /लेवलों के पंजीयन हेतु प्रस्तुत किये जाने वाले आवेदन पत्रों पर विचार नहीं किया जायेगा।
विभाग के इस पत्र के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों से लेकर जनता में यह संदेश गया कि अभी सरकार शराब दुकानें चला रही है लेकिन अगले वित्तीय वर्ष से ये दुकानें फिर से ठेका पद्धति में दी जाएंगे। चर्चा यह भी होने लगी थी कि कांग्रेस ने तो पूर्ण शराबबंदी का वादा किया है फिर ऐसा कैसे संभव है।
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इसे देखते हुए विभाग ने एक पत्र जारी कर सफाई दी है। शुक्रवार को जारी पत्र में कहा गया है कि आबकारी विभाग द्वारा 26 दिसम्बर 2018 को भारत में निर्मित विदेशी मदिरा तथा भारत के बाहर से आयातित विदेशी मदिरा के नवीन ब्रांड और लेबलों के पंजीयन के लिए सूचना जारी की गई थी। इस संबंध में उत्पन्न भ्रांतियों के संबंध में आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उक्त सूचना केवल भारत में निर्मित तथा भारत के बाहर से आयातित विदेशी मदिरा के नवीन ब्रांड और लेबल के पंजीयन के लिए थी। पत्र में आगे कहा गया है कि इसका देशी और विदेशी मदिरा के फुटकर विक्रय के व्यवस्थापन एवं ठेका से कोई संबंध में नहीं है।