दंतेवाड़ा: प्रदेश के वनांचल क्षेत्र बस्तर के दंतेवाड़ा जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां रहने वाले एक शख्स का ब्लड ग्रुप ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ पाया गया है। युवक के ब्लड ग्रुप का उस वक्त पता चला जब वह किसी को ब्लड डोनेट करने के लिए डोंगरगढ़ गया हुआ था। बता दें देश में केवल 179 लोग ही ऐसे हैं, जिनका ब्लड ग्रुप ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ हैं। वहीं, देंतवाड़ा जिले में यह दूसरा शख्स है, जिसके शरीर में ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ पाया गया है। हालांकि छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों का दावा है कि प्रदेश में इस ब्लड ग्रुप के 10 लोग हैं, लेकिन उनका पता ठिकाना डॉक्टरों के पास भी नहीं है।
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क्या है ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’
बॉम्बे ब्लड ग्रुप रेयरेस्ट ऑफ रेयर ब्लड टाइप है, जो विश्व में सिर्फ 0.0004 फीसदी लोगों में ही पाया जाता है। भारत में 10,000 लोगों में केवल एक व्यक्ति का ब्लड बॉम्बे ब्लड टाइप होगा। इसे एचएच ब्लड टाइप भी कहते हैं या फिर रेयर एबीओ ग्रुप ब्लड। इस ब्लड ग्रुप की खोज डॉ वाईएम भेंडे ने 1952 में की थी।
क्यों कहा जाता है ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’
इसको बॉम्बे ब्लड इसलिए कहा जाता है क्योंकि सबसे पहले यह बॉम्बे के कुछ लोगों में पाया गया था। इस ब्लड टाइप के भीतर पाई जाने वाली फेनोटाइप रिएक्शन के बाद यह पता चला की इसमें एक एच एंटीजेन होता है। इससे पहले इसे कभी नहीं देखा गया था।
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बॉम्बे ब्लड वाला व्यक्ति किस-किस से ब्लड ले सकता है लेकिन ले नहीं सकता
बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति एबीएचओ ब्लड ग्रुप वाले को ब्लड दे सकता है, परन्तु इनसे ब्लड ले नहीं सकता है। यह सिर्फ अपने ही ब्लड ग्रुप यानी एचएच ब्लड टाइप वालों से ही ब्लड ले सकता हैं।
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