इंदौर। लगभग चार साल पहले पाकिस्तान से भारत लाई गई मूक बधिर गीता को अपने माता-पिता से मिलवाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके चलते लगभग दस परिवारों से गीता का डीएनए मैच में करवाया जा चूका है लेकिन एक भी डीएनए मैच नहीं हुआ है.पिछले चार सालो से गीता प्रदेश सरकार के सामाजिक न्याय और निशक्त कल्याण विभाग की देख-रेख में इंदौर के एक संस्था में रह रही है।
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बता दें कि गीता को फिर एक बार अपनी बेटी होने का दावा तीन परिवारों ने किया है,जिसमे राजस्थान के चुरू,बिहार के दरभंगा और झारखंड के बरका गांव के तीन अलग अलग परिवार शामिल है। गुरुवार को दरभंगा के एक प्रशासनिक अधिकारी ने गीता से वीडियो कांफ्रेंसिग के ज़रिये गीता से बात भी की है.. वही झारखंड के बरका और राजस्थान के चुरू जिले के दो परिवारों ने संपर्क कर दावा किया कि गीता उनकी खोई हुई बेटी है।
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साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र पुरोहित के मुताबित तीन परिवारो ने फेसबुक पेज पर देखकर मुझसे संपर्क किया है। सामाजिक न्याय को जानकारी के साथ ही विदेश मंत्रालय को भी परिवार के दावे के सबूत भेज दिए हैं। मंत्रालय की अनुमति के बाद वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से गीता को परिवार से बात कराने की कोशिश कराई जाएगी।हालाकि दरभंगा के प्रशासनिक अधिकारी से हुई गीता की बात में गीता परिवार को नहीं पहचान पाई है.वही सामाजिक न्याय अभी मंत्रालय के निर्देश आने के इंतज़ार में है,जिसके बाद कुछ एक्शन करेगा. गौरतलब है कि पाकिस्तान से भारत लौटी गीता को 26 अक्टूबर 2015 से इंदौर के एक संस्था में रखा गया है। जिसके बाद से कभी गीता ने शादी करने की इच्छा जताई तो कभी माता पिता को पाने की ख्वाइशे बया की लेकिन खुद सुषमा स्वराज की मॉनिटरिंग के बाद भी अब तक परिवार को नहीं ढूढ पाया गया है।
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