उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से अस्वस्थ दुष्कर्म पीडिता को गर्भपात कराने की अनुमति दी

उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से अस्वस्थ दुष्कर्म पीडिता को गर्भपात कराने की अनुमति दी

उच्च न्यायालय ने मानसिक रूप से अस्वस्थ दुष्कर्म पीडिता को गर्भपात कराने की अनुमति दी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:36 pm IST
Published Date: February 12, 2021 12:16 pm IST

नागपुर, 12 फरवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने शुक्रवार को मानसिक रूप से अस्वस्थ दुष्कर्म पीड़िता को 23 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी।

न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अविनाश घरोटे की अदालत ने चिकित्सा समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लेने के बाद यह फैसला दिया। चिकित्सा समिति ने कहा था कि इस मामले की परिस्थितियों के मद्देनजर गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि गर्भपात अधिनियम के तहत 20 हफ्ते तक के गर्भ को एक या उससे अधिक डॉक्टरों की सहमति से गिराया जा सकता है लेकिन 20 हफ्ते से अधिक के गर्भ को तभी समाप्त किया जा सकता है जब अदालत इस नतीजे पर पहुंचे कि गर्भ से बच्चे एवं उसकी मां की सेहत एवं जीवन को खतरा हो सकता है।

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उल्लेखनीय है कि 25 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता का पिता दिहाड़ी मजदूर है एवं कथित तौर पर आशा कार्यकर्ता द्वारा बेटी से दुष्कर्म करने एवं गर्भ ठहरने की जानकारी होने पर उच्च न्यायालय का रुख किया।

मामले में आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

अदालत ने निर्देश दिया कि भ्रूण के डीएनए को जांच के लिए एक साल तक सीलबंद कर सुरक्षित रखा जाए।

भाषा धीरज उमा

उमा


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