उच्च न्यायालय ने मुंबई में हिरासत में ली गईं तीन यौन कर्मियों को रिहा करने का आदेश दिया
उच्च न्यायालय ने मुंबई में हिरासत में ली गईं तीन यौन कर्मियों को रिहा करने का आदेश दिया
मुंबई, 26 सितंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई में हिरासत में लेकर एक सुधार केन्द्र में रखी गईं तीन यौन कर्मियों को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा है कि कानून के तहत वेश्यावृत्ति दंडनीय अपराध नहीं है और किसी वयस्क महिला को अपना व्यवसाय चुनने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने बृहस्पतिवार को पारित आदेश में कहा कि वेश्यावृत्ति अनैतिक व्यवसाय (निवारण) अधिनियम, 1956 के तहत दंडनीय अपराध नहीं है।
न्यायमूर्ति चव्हाण मजगांव के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें इन महिलाओं को उनकी मर्जी के खिलाफ एक स्थानीय सुधार केन्द्र में हिरासत में रखने का फैसला सुनाया गया था।
उच्च न्यायालय के अनुसार पुलिस ने पिछले साल एक अतिथि गृह में छापेमारी के बाद 20 साल के अधिक आयु की इन सभी महिलाओं को हिरासत में ले लिया था।
इस मामले में बिचौलिये को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। वहीं तीनों महिलाओं को ”पीड़ित” बताकर सुधार गृह भेज दिया गया था। जोहेब शाहिद
शाहिद
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