जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की चंद्रपुर विधानसभा से..चंद्रपुर सियासी नजरिए से इसलिए अहम है क्योंकि बीजेपी के दिग्गज नेता रहे दिलीप सिंह जूदेव के बेटे युद्धवीर सिंह जूदेव इस विधानसभा सीट से लागातार दो बार से विधायक चुनते आ रहे हैं…तो कैसी है चंद्रपुर की सियासी बिसात और क्या हैं मुद्दे? इसके पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर…
जांजगीर जिले में आती है विधानसभा सीट
कुल मतदाता- 2 लाख 11 हजार 23
पुरुष मतदाता- 1 लाख 6 हजार 576
महिला मतदाता- 1 लाख 4 हजार 447
2 ब्लॉक और 3 नगर पंचायत विधानसभा में शामिल
वर्तमान में विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा
सियासत-
बीजेपी इस बार के चुनावी मैदान में हैट्रिक लगाने के इरादे से उतरेगी लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा..क्योंकि मैदान में कांग्रेस के साथ बसपा और JCCJ भी होगी ।बीते दो विधानसभा चुनावों से बीजेपी जीत का परचम लहराती आ रही है और युद्धुवीर सिंह जूदेव लगातार दो बार से विधायक चुनते आ रहे हैं..अब चुनावी समर का काउंटडाउन शुरु होते ही सियासी बिसात भी बिछने लगी है..जहां बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में है तो वहीं कांग्रेस बीजेपी के इस किले में सेंध लगाने की कोशिश में है..जीत-हार के गुणा-भाग के बीच टिकट की रेस भी शुरु हो गई है।
बीजेपी की बात करें तो वर्तमान विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव की टिकट इस बार भी पक्की मानी जा रही है..लेकिन फिर भी कृष्णकांत चंद्रा समेत कई नेता दावेदार हैं..अब बात कांग्रेस की करें तो पूर्व विधायक नोवेल वर्मा का नाम सबसे आगे है..कमल पटेल, दुर्गेश जायसवाल और यशवंत चंद्रा भी दावेदारों में शामिल हैं..बसपा से गीता साहू और मनहरण चंद्रा दावेदार हैं तो वहीं JCCJ ने गीतांजलि पटेल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है ।
मुद्दे-
चंद्रपुर में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधाएं तक बदहाल हैं…बिजली,पानी और सड़क तक के लिए तरस रही है जनता। अभावों और समस्याओं के बीच बसी नजर आती है चंद्रपुर विधानसभा..कोई एक दो नई बल्कि कई समस्याओं से जूझ रही है जनता…सबसे खराब हालत तो शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की है..डभरा में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं..यही हाल पूरी विधानसभा के हैं..स्कूली और उच्च शिक्षा भी बदहाल है।
केंद्रीय विद्यालय और मॉडल स्कूल की मांग सालों से की जाती रही है लेकिन पूरी नहीं हो सकी..तो वहीं कॉलेज स्टॉफ की कमी से जूझ रहा है..कहने को तो विधानसभा में 3 पॉवर प्लांट हैं लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है..नतीजा पलायन के लिए मजबूर हैं लोग..इसके अलावा सड़कों की स्थिति भी खराब है..कई गांव तो ऐसे हैं जहां रोड कनेक्टिविटी नहीं है..मालखरौदा को नगर पंचायत बनाने की मांग भी अधूरी है..महानदी पर बैराज का निर्माण तो हो गया लेकिन डूब क्षेत्र में आने वाले किसानों को मुआवजा अब तक नहीं मिला ।
वेब डेस्क, IBC24