जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की अंबिकापुर विधानसभा से…ये सीट प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है..क्योंकि यहीं से वर्तमान कांग्रेस विधायक हैं टीएस सिंहदेव..जो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष है..तो सियासी बिसात और मुद्दों से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर….
सरगुजा जिले में आती है विधानसभा सीट
विधानसभा में तीन ब्लॉक शामिल
कुल मतदाता-2 लाख 15 हजार 694
पुरुष मतदाता-1 लाख 8 हजार 808
महिला मतदाता-1 लाख 6 हजार 868
वर्तमान में विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
टीएस सिंहदेव हैं कांग्रेस विधायक
सियासत-
अंबिकापुर विधानसभा सीट पर शुरू से लेकर अब तक राजमहल का खासा असर रहा है….कांग्रेस के वर्तमान विधायक टीएस सिंहदेव भी राजघराने से हैं….लेकिन लोकतंत्र के इस दौर में केवल महल का बैकग्राउन्ड ही कामयाबी की गारंटी नहीं है….पिछले दो विधानसभा चुनाव में जीत हार का अंतर ये साबित भी करता है….बीजेपी के सामने महल के असर को खत्म करके कांग्रेस को मात देने की चुनौती है तो वहीं कांग्रेस महल को पकड़कर फिर से अंबिकापुर में अपनी सीट पक्की करने के लिए तैयारी शुरू कर चुकी है….
सरगुजा संभाग में अंबिकापुर को एक अहम सियासी केंद्र माना जा सकता है ..यहां होने वाली सियासी गतिविधियों का असर दूसरी सीटों पर भी पड़ता है ….लिहाजा आने वाले चुनाव में इस सीट पर पूरे राज्य की नजर होगी .. वैसे अंबिकापुर के सियासी इतिहास की बात की जाए तो यहां का राजनीति पर महल का असर शुरू से ही रहा है ..और यही यहां से कांग्रेस की सफलता की बड़ी वजह भी रही है..बीते चुनाव में कांग्रेस से टीएस सिंहदेव ने बीजेपी के अनुराग सिंहदेव को मात दी थी..अब चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो गई है तो बीजेपी कांग्रेस के इस किले में सेंध लगाने की कोशिश में है..इसके साथ ही विधायक की टिकट के लिए दावेदार भी ताल ठोक रहे हैं…बात कांग्रेस की करें तो वर्तमान विधायक टीएस सिंहदेव के अलावा कोई चेहरा नजर नहीं आता ..इसलिए टीएस सिंहदेव इस बार भी चुनावी मैदान में हो सकते हैं…अब बात बीजेपी की करें तो बीते दो चुनावों में हार का मुंह देख चुके अनुराग सिंह इस बार भी दावेदारों की लाइन में हैं…इसके अलावा अनिल सिंह मेजर और वर्तमान सरगुजा सांसद कमलभान सिंह प्रबल दावेदार हैं…वहीं बीजेपी जिलाध्यक्ष अखिलेश सोनी का नाम भी इस सूची में शामिल है..JCCJ भी इस बार चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है…JCCJ से दानिश रफीक का नाम दावदारों की सूची में सबसे उपर है ।
मुद्दे-
हर बार चुनाव में वादे और दावे तो किए गए लेकिन हकीकत ये है कि सड़क,पानी और बिजली जैसी समस्याएं जस की तस हैं..कोल माइंस के लिए जमीन अधिग्रहित तो कर ली गई है लेकिन वादे के मुताबिक रोजगार का अता-पता नहीं है ।
अंबिकापुर में सियासी चमक तो दिखाई देती है लेकिन विकास की चमक नदारद है…कोई एक- दो नहीं बल्कि समस्याओं की लिस्ट लंबी है.. कोल माइंस खोलने के लिए जमीन अधिग्रहित करने से पहले लोगों को रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के सपने तो दिखाए गए लेकिन आज तक प्रभावित लोगों को ना तो रोजगार मिला और ना ही जरूरी सुविधाएं..कोलमाइंस खुलने के बाद उदयपुर से अंबिकापुर तक की सड़कें पूरी तरह से जर्जर हो गई हैं। सड़क हादसे भी लगातार हो रहे हैं..शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी फिसड्डी है ये विधानसभा..स्कूली शिक्षा तो बदहाल है ही..उच्च शिक्षा की भी स्थिति ठीक नहीं है..
हायर एजुकेशन में स्पेशलाइज्ड कोर्स ना होने की वजह से छात्रों को दूसरे बडे शहरों का रूख करना पड़ता है….अंबिकापुर शहर से 25 किलोमीटर दूर इंजीनियरिंग कॉलेज तो खोल दिया गया है, लेकिन वहां तक आने जाने की पर्याप्त सुविधा ना होने की वजह से छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है..बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है…कहने को तो उद्योग-धंधे हैं लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार मिल नहीं पा रहा है ।
वेब डेस्क, IBC24
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