बस्तर में खामोश हुईं बंदूकें ..राजनांदगांव में सक्रिय हुए माओवादी | Maoists active in Rajnandgaon

बस्तर में खामोश हुईं बंदूकें ..राजनांदगांव में सक्रिय हुए माओवादी

बस्तर में खामोश हुईं बंदूकें ..राजनांदगांव में सक्रिय हुए माओवादी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : August 9, 2017/5:23 am IST

 

बस्तर में बंदूकें फिलहाल ख़ामोश हैं लेकिन राजनांदगांव में नक्सली हलचल तेज हो गई है. जिसका नतीजा है बीते 6 अगस्त का हमला. जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस के दो जवानों को शहादत मिली । नक्सलियों की राजनांदगांव में बढ़ती सक्रियता ने पुलिस के कान खड़े कर दिए हैं और इसी के चलते मंगलवार को नक्सल आपरेशन के डीजी डी.एम अवस्थी ने राजनांदगांव में पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर नई रणनीति बनाई.

फिर अशांत है महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का सरहदी त्रिकोण फिर एक बैटल फील्ड जाग उठा है । सीमा पर नक्सली एक बार फिर जड़ें जमाने की फ़िराक में है। नतीजा पुलिस और नक्सलियों में मुठभेड़ों की स्थिति बार-बार बन रही है. साथ ही सुरक्षा का ख़तरा भी बढ़ने लगा है । बीते 6 अगस्त को हुआ पुलिस-नक्सली एनकाउंटर इसी ख़तरे का एक सबूत है । लाल सेना के नए कॉरिडोर ने छत्तीसगढ़ पुलिस के कान खड़े कर दिए हैं. उसने ख़तरे को भांपते हुए पहले ही यहां फोर्स डिप्लाय कर रखा है । ख़ास नक्सलियों को काबू में करने के लिए ही पुलिस ने E-30 के नाम से  दस्ता को तैयार किया है। 

बीते 6 अगस्त को जो एनकाउंटर हुआ. वो E-30 और नक्सलियों के बीच ही था और उसमें शहीद होने वाले SI और कांस्टेबल दोनों ही E-30 के सदस्य थे । दो जवानों की शहादत के बाद पुलिस के लिए अपना अलर्ट लेवल और बढ़ाने की ज़रूरत आ पड़ी है । पुलिस ने नक्सलियों के विस्तार को रोकने के लिए ही मलौदा में एक अस्थाई पुलिस कैंप खोला था. लेकिन बारिश की वजह से वहां रसद पहुंचाना मुश्किल हो गया था. नतीजा कैंप को बंद करना पड़ा । इससे नक्सलियों को खुलकर अपनी गतिविधियां चलाने का मौका मिल गया । लेकिन एनकाउंटर के बाद अब पुलिस यहां रणनीति अपनाने का दावा कर रही है ।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा में पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से नक्सलियों के लिए ये सुरक्षित ठिकाना बन गया है । मानपुर में मौजूद घना जंगल भी उन्हें पनाह दे रहा है । मध्यप्रदेश सीमा से लगी भावे पहाड़ी से नक्सली पुलिस की हर गतिविधि पर नज़र रखते हैं । वहीं सर्चिंग के लिए आ रहे पुलिस जवानों पर वो ऊपर से फायर भी कर सकते हैं । 6 अगस्त की मुठभेड़ में भी पहाड़ी से ही जवानों पर फायरिंग हुई थी । एक तो यहां का दुर्गभ भौगोलिक परिवेश नक्सलियों को मदद कर रहा है. दूसरा तीन राज्यों की पुलिस के लिए तालमेल बिठा पाना भी आसान नहीं है । हालांकि छत्तीसगढ़ पुलिस जल्द ही तालमेल बना लेने की बात कह रही है ।

हालांकि पुलिस ने अपनी रणनीति को लेकर कोई बड़ा खुलासा नहीं किया है. पर ये माना जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद यहां महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की संयुक्त कमान में एक मैसिव ऑपरेशन लॉन्च होगा । बस्तर में दबाव बढ़ने के बाद राजनांदगांव में लाल हलचल तेज हुई है..एक दौर में यहां नक्सली हर तरफ़ अपने पांव जमा चुके थे. एक बार फिर वो ऐसा करने की कोशिश में हैं. सवाल है. क्या इस बढ़ते ख़तरे के लिए पुलिस ने जो तैयारी की है. वो फुल प्रूफ है और सवाल ये भी क्या कोई ऐसा मैकेनिज्म तैयार है. जिसके बूते तीनों राज्यों की पुलिस तालमेल बनाएगी?

 
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