छत्तीसगढ़ में बढ़ते हाथियों के उत्पात से जान सामान्य परेशान है। कुछ इलाकों में तो ये स्थिति है कि ग्रामीण रात -रात जाग कर ग्रामीण अपने परिवारों की रक्षा कर रहे हैं। इस बात की चिंता जताते हुए आज विधानसभा सत्र के तीसरे दिन कांग्रेस विधायक अरुण वोरा ने प्रश्नकाल के दौरान हाथियों से मौत और नुकसान का मामला उठाया तो जवाब में वन मंत्री ने कहा कि ज्ञात हो छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में से 17 जिलों में हाथियों के उत्पात से प्रभावित हैं।
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पिछले 5 सालों में उन जिलों में 199 लोगों को हाथियों की वजह से मौत हुई है.और तो और 5 सालों में करीब 7000 घरों को हाथियों ने तोड़ डाला है.जबकि 32952.891 हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है। जिसकी चिंता सरकार को भी है। हाथियों की वजह से प्रभावित परिवारों को राज्य सरकार की तरफ से 39 करोड़ 49 लाख 85 हजार रुपये का मुआवजा बांटा गया है। इसी दौरान कांग्रेसी विधायक धनेंद्र साहू ने भी अपनी बात रखी और कहा कि आबादी क्षेत्र में घुस कर हाथी और जंगली सुअर किसी को मार देता है तो कुछ नियंत्रण का बंदोवस्त हमारे पास नहीं है ?
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इस बारे में मंत्री महेश गागड़ा ने सदन को जानकारी दी कि हाथियों को प्रकोप रोकने के लिए कई तरह के कार्य किये जा रहे हैं। सबसे पहला कार्य हम हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र की स्थापना करने जा रहे हैं। साथ ही हमने भारतीय वन्यप्राणी संस्थान देहरादून से भी विशेषज्ञों को बुलाया है। वन मंत्री ने आगे कहा कि हाथियों के कारण अगर किसी की मौत हो जाती है.तो सरकार की तरफ से उन्हें 4 लाख रुपये मुआवजा दिया जाता है. जबकि स्थायी रूप से अपंग होने पर 2 लाख घायल होने पर 59100 और पशु हानि पर 30 हजार रुपये दिये जाते हैं। वन मंत्री ने कहा कि बिगड़ैल हाथियों को सुधार के लिए पुनर्वास केंद्र जल्द ही स्थापित हो जायेगा।
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